अलवर न्यूज़ डेस्क – राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल अलवर जिला औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित हो चुका है। उद्योगों में उत्पादन और निर्यात बढ़ने से यहां रोजगार बढ़ रहे हैं। अलवर हर साल केंद्र और राज्य सरकार को 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व दे रहा है। जापानी और कोरियाई जोन में स्थापित औद्योगिक इकाइयों से भी सरकार को पूरा लाभ मिल रहा है। जानकारी के अनुसार अलवर ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में केंद्र और राज्य सरकार के खजाने में 11 हजार करोड़ रुपए दिए, जो वित्तीय वर्ष 2021-22 से 84 फीसदी अधिक रहा। निर्यात में बढ़ोतरी के कारण सबसे अधिक 98 फीसदी आईजीएसटी के रूप में दिया गया। वहीं, वित्तीय वर्ष 2023-24 में अलवर और भिवाड़ी जोन ने केंद्र और राज्य सरकार को करीब 12 हजार करोड़ रुपए का राजस्व दिया। वहीं, भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां यहां अपने प्लांट लगा रही हैं।
35 हजार से अधिक फर्म पंजीकृत
जानकारी के अनुसार अलवर संभाग में 35 हजार से अधिक फर्म व उद्योग पंजीकृत हैं। इनमें 27 हजार से अधिक सामान्य व्यापारी हैं, जो हर माह जीएसटी भरते हैं और 8 हजार से अधिक व्यापारी हैं, जो हर तीन माह में जीएसटी भरते हैं।
ऑटोमोबाइल, फार्मा व मिनरल का बड़ा कारोबार
अलवर में मुख्य रूप से चार प्रकार की औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं। इनमें मिनरल, ऑटोमोबाइल, केमिकल व खाद्य उत्पाद शामिल हैं। भिवाड़ी व नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में करीब 700 ऑटोमोबाइल कंपनियां चल रही हैं। भिवाड़ी में 50 से अधिक फार्मा कंपनियां संचालित हैं। इन कंपनियों में उत्पादित माल देश-दुनिया में सप्लाई हो रहा है।
अलवर में करीब 200 विदेशी कंपनियों के प्लांट हैं। इसमें जापान की करीब 80 कंपनियां शामिल हैं। इनमें 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हो चुका है। इन कंपनियों में 20 हजार से अधिक लोग कार्यरत हैं। इनमें जापान की होंडा, अमेरिका की लूटिका, जर्मनी की ओकेएपी व डॉ. ओटकर, कोरिया की हेनान, यूके की लूटिका व कपारी इंजीनियरिंग आदि अलवर में चल रही हैं। ये कंपनियां देती हैं सबसे ज्यादा टैक्स होंडा कार्स, होंडा बाइक्स एंड स्कूटर्स, हीरो मोटरकॉर्प, जगुआर, सेंट गोबेन, सिनर्जी स्टील, आयशर व आरएसपीएल ऐसी कंपनियां हैं जो सबसे ज्यादा टैक्स दे रही हैं।