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Rajasthan News: राजस्थान के भरतपुर में उम्र के आखिरी पड़ाव पर पूरा हुआ अपने घर का सपना, 70+ की उम्र वालों को 80 हजार पीएम आवास

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भरतपुर न्यूज़ डेस्क – रोटी-कपड़ा और मकान। यह नारा फिल्मों से परे हकीकत में भी आम आदमी की जरूरत है। या यूं कहें कि इन तीनों को पूरा करना ही जिंदगी का सपना है। बचपन से लेकर जीवन के अंतिम पड़ाव तक पूरी जिंदगी इन्हीं जरूरतों को पूरा करने में गुजर जाती है।

प्रदेश में 80 हजार से ज्यादा लोगों के सिर पर पक्की छत का सपना जीवन के अंतिम पड़ाव पर पूरा हुआ है। सरकारी आंकड़ों में भी यह सच साबित हो रहा है। इतना ही नहीं 599 लोग ऐसे हैं जो 100 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं, उन्हें इस उम्र में मकान मिले हैं। जबकि उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बिता दी है। उनके लिए यह मकान अब नई पीढ़ी के काम आएंगे। हालांकि सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री आवास 18 से 71 साल की उम्र के लोगों को आवंटित किए गए हैं।

प्रदेश के 33 जिलों में ऐसे 1236515 लोगों को मकान मिले हैं। लेकिन 71 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को आवंटित मकानों की संख्या भी कम नहीं है। 71 से 80 वर्ष की आयु के लोगों को 66625 आवास आवंटित किए गए। वहीं, 81 से 90 वर्ष की आयु के लोगों के लिए 15162 आवास बनाए गए। इसी तरह, 91 से 100 वर्ष की आयु के 1544 लोगों को आवास दिए गए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पिछले महीने एक बार फिर पीएम आवास ग्रामीण के आवेदन के लिए पोर्टल खोल दिया है।

माता-पिता ने आवेदन किया, फिर बच्चों और किशोरों को मिला आवास
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शून्य से सौ वर्ष से अधिक आयु के लोगों को आवास दिए जा रहे हैं। इनमें शून्य से दस वर्ष तक के बच्चों के लिए भी प्रदेश में 345 आवास स्वीकृत किए गए हैं। अफसरों के मुताबिक, इनमें वे बच्चे भी शामिल हैं, जिनके माता-पिता ने आवास के लिए आवेदन किया था, लेकिन वे कोरोना व अन्य परिस्थितियों के कारण नहीं रह पाए। ऐसे में बच्चों को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभान्वित किया जा रहा है।इसी कड़ी में आवास भी बनाए गए। इनमें सबसे ज्यादा डूंगरपुर में 61, उदयपुर में 50, बांसवाड़ा में 48 और बाड़मेर में 43 पीएम आवास बनाए गए। हालांकि अलवर, दौसा, धौलपुर, जयपुर, झुंझुनूं और टोंक जिलों में इस श्रेणी में कोई आवास स्वीकृत नहीं हुआ है। वहीं, 11 से 17 वर्ष आयु वर्ग में भी 1017 आवास आवंटित किए गए हैं।

बांसवाड़ा में 100 वर्ष से अधिक आयु के लाभार्थी ज्यादा
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, दस दशक की जिंदगी देख चुके 599 लोगों को आवास स्वीकृत किए गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या बांसवाड़ा जिले में 99 है। इसके बाद उदयपुर में 69, बाड़मेर में 48, डूंगरपुर में 49, जोधपुर में 30, बीकानेर में 22, करौली में 19, प्रतापगढ़ में 29, सवाई माधोपुर-बूंदी में 15-15, श्रीगंगानगर में 16, झालावाड़ में 17, जालौर में 16 मकान बनाए गए। जबकि सबसे कम मकान सीकर और झुंझुनूं में एक-एक व्यक्ति को दिए गए। 91 से 100 वर्ष आयु वर्ग में सबसे ज्यादा 199 मकान उदयपुर जिले में बनाए गए। 100 से ज्यादा मकान वाले जिलों में बांसवाड़ा (183), बाड़मेर (184), डूंगरपुर (148) शामिल हैं।

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Rajasthan E Khabar Webdesk

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