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Rajasthan News: Bundi रामगढ़ विषधारी में दो बाघों के बीच वर्चस्व बना झगड़े का कारण

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बूंदी न्यूज़ डेस्क, करीब ढाई साल पहले अस्तित्व में आए राज्य के चौथे टाइगर रिजर्व रामगढ़ विषधारी से शुक्रवार को बुरी खबर आई। यहां ढाई माह पूर्व सरिस्का से लाए बाघ आरवीटी-4 का शव मिला। उसे 27 दिन पहले ही एनक्लोजर से जंगल में छोड़ा गया था। माना जा रहा है कि वर्चस्व की लड़ाई और टेरिटोरियल के लिए बाघों के बीच हुए संघर्ष में उसकी मौत हुई। यहां दो बाघों के बीच एक बाघिन होना भी संघर्ष का कारण माना गया।बाघ की मौत की सूचना से वन विभाग के अधिकारियों में हड़कम्प मच गया। बाघ का शव बूंदी वन विभाग के कार्यालय लाया गया। यहां पांच पशु चिकित्सकों की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया। सरिस्का टाइगर रिजर्व से बाहर निकल हरियाणा के जबुआ के जंगलों में डेरा जमाए तीन साल के युवा बाघ को गत 11 नवम्बर को रामगढ़ विषधारी लाया गया था। उसे 27 दिन पहले एनक्लोजर से निकालकर जंगल में छोड़ा गया था। उसे आरवीटी-4 नाम दिया गया।

लगातार एक जगह लोकेशन मिली

रामगढ़ विषधारी अभयारण्य की सीमा पर इस बाघ की लोकेशन लगातार एक जगह पर आने से वनकर्मियों को किसी अनहोनी की आशंका हुई। उन्होंने शु₹वार को मौके पर जाकर देखा तो वहां बाघ मृत मिला। मृत बाघ के शव को बड़ी मशक्कत से पहाड़ी नाले में रास्ता बनाकर नीचे उतारा गया। टीम शव को लेकर बूंदी जैतसागर झील किनारे वन विभाग के जिला कार्यालय पहुंची। जहां पांच पशु चिकित्सक की टीम ने शव का पोस्टमार्टम किया। प्रथम दृष्टया बाघ की मौत का कारण क्षेत्राधिकार की लड़ाई होना माना जा रहा है। पोस्टमार्टम के दौरान कोटा के मुख्य वन संरक्षक रामकरण खेरवा, बूंदी पुलिस अधीक्षक राजेंद्र कुमार मीणा, रामगढ़ के उपवन संरक्षक वीरेंद्र कुमार झा,टेरिटोरियल डीएफओ देवेंद्र सिंह भाटी, कोटा चिडिय़ाघर के डीएफ ओ अनुराग भटनागर सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

एक ही बाघिन रह गई थी

गौरतलब है कि पिछले साल सितम्बर में बाघिन आरवीटी-2 का कंकाल मिला था। उस की मौत के बाद एक बाघ-आरवीटी-एक और बाघिन आरवीटी- 3 रह गई थी। इसी दौरान एक अन्य बाघ को शिफ्ट करने से यहां विचित्र स्थिति पैदा हो गई थी। तेजी से आबाद हो रहे इस टाइगर रिजर्व में दो युवा बाघ, एक बाघिन व मृत बाघिन के दो मादा शावक रह गए थे।

संघर्ष की आशंका थी

रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व में तीन माह में तेजी से बदली परिस्थितियों ने वन्यजीव प्रेमियों के साथ वन विभाग की भी धड़कने बढ़ा दी है। वन विभाग दोनों शावकों के भविष्य को लेकर काफी सचेत रहकर कार्य कर रहा है। ऐसे में एक नए बाघ के आने से स्थितियां बदल गई। नए बाघ को एनक्लोजर से खुले जंगल में छोडऩे के साथ ही दोनों बाघों में टेरिटोरियल व बाघिन के लिए जंग होने के आसार बन गए थे। यह आशंका सच साबित हुई। अब रामगढ़ महलों के आसपास रह रही दो मादा शावकों के लिए भी यह बाघ परेशानी का कारण बन सकता है।

लिंगानुपात में विषमता

यहां बाघों के लिंगानुपात में आई विषमता किसी चुनौती से कम नहीं है। एक तरफ माह युवा होती बिना मां के दोनों मादा शावकों के जंगल में जीवित रहने के लिए शिकार आदि के हुनर सीखने को लेकर जद्दोजहद की स्थिति है। वन विभाग टाइगर रिजर्व में महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश से बाघों को लाने की भी योजना लंबे समय से चल रही है, लेकिन इस कार्य में हो रही देरी बाघों के लिए भारी पड़ सकती है।

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Rajasthan E Khabar Webdesk

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