Gangapur City District Update, जयपुर: राजस्थान हाईकोर्ट ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से बनाए गए गंगापुर सिटी जिले को खत्म करने के मामले में राज्य सरकार को यह बताने को कहा है, कि जिला खत्म करने निर्णय विवेक का इस्तेमाल कर लिया गया है या नहीं? वहीं अदालत ने याचिकाकर्ता को बताने को कहा है कि उन्होंने जनहित याचिका पेश करने से पूर्व राज्य सरकार से इस संबंध में जानकारी जुटाने के लिए क्या किया है।
अदालत ने याचिकाकर्ता को मौखिक रूप से चेताया है कि यदि इस संबंध में कोई ठोस आधार नहीं बताया गया तो जनहित याचिका को भारी हर्जाने के साथ खारिज किया जा सकता है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश गंगापुर सिटी विधायक रामकेश मीणा (Gangapur City News) की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सारांश सैनी ने अदालत को बताया कि गंगापुर सिटी को जिले का दर्जा निर्धारित मापदंड के तहत दिया गया था। सरकार बदलने पर राजनीतिक द्वेषतावश गंगापुर सिटी से जिला का दर्जा समाप्त कर दिया। याचिका में कहा गया कि जिला बनने के बाद यहां कई प्रशासनिक नियुक्तियां हो चुकी हैं।
विभाग भी बतौर जिला स्तर पर काम कर रहे हैं। कमेटी ने लोगों से आपत्तियां मांगने के बाद इसे जिला घोषित किया था। अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि उन्होंने जनहित याचिका दायर करने से पहले राज्य सरकार से जिला निरस्त करने के आधारों की जानकारी मांगने के लिए क्या कार्रवाई की।
याचिकाकर्ता राज्य सरकार के समक्ष सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी ले सकता था, लेकिन याचिका में ऐसा कोई दस्तावेज पेश नहीं किया गया है। ऐसे में अदालत राज्य सरकार से सिर्फ इस बिंदु पर जवाब मांग रही है कि क्या जिला निरस्त करने का निर्णय विवेक से लिया गया है या नहीं? अदालत ने कहा कि जिलों का गठन, पुनर्गठन, सड़क, पूल निर्माण की जगह तय करना सरकार का काम है।