Rajasthan E Khabar, जयपुर| 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा। देशभर में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे- पोंगल, खिचड़ी, उत्तरायण, माघ बिहु और मकरविलक्कु। बता दें कि जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्राति मनाई जाती है। पूरे वर्ष में कुल बारह संक्रांतियां होती हैं, जिनमें से सूर्य की मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति बेहद खास हैं। इन दोनों ही संक्रांति पर सूर्य की गति में बदलाव होता है। जब सूर्य की कर्क संक्रांति होती है तो सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन और जब सूर्य की मकर संक्रांति होती है, तो सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। सूर्य के उत्तरायण होने का उत्सव ही मकर संक्रांति कहलाता है इसलिए कहीं-कहीं पर मकर संक्रान्ति को उत्तरायणी भी कहते हैं। उत्तरायण काल में दिन बड़े हो जाते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं। वहीं दक्षिणायन काल में ठीक इसके विपरीत-रातें बड़ी और दिन छोटा होने लगता है।
मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान का महत्व– Makar Sankranti 2025 Shubh Muhurt
मकर संक्रांति के दिन तीर्थस्थलों पर स्नान और दान का बड़ा ही महत्व है। मकर संक्रांति के दिन दान-दक्षिणा या धार्मिक कार्य करने से सौ गुना अधिक फल मिलता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा नदी में स्नान जरूर करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है और उसे धन की कोई कमी नहीं होती। लेकिन गंगा स्नान करना संभव नहीं है तो मकर संक्रांति के दिन नहाने वाले पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान कर लें। ऐसा करने से भी व्यक्ति को गंगा स्नान जितना फल प्राप्त होता है।
मकर संक्रांति के दिन करें इन चीजों का दान
- तिल
- कंबल
- खिचड़ी
- कच्चा चावल और उड़द दाल
- ऊनी वस्त्र
- धन
- गुड़
मकर संक्रांति का पुण्यकाल
मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी 2025 को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से प्रारंभ होगा और शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। वहीं मकर संक्रांति का महा पुण्य काल सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। मकर संक्रांति के पुण्यकाल के समय स्नान-दान करना और सूर्य देव की उपासना करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल के समय दान-पुण्य जरूर करें।