जयपुर। राजस्थान में भारी वाहनों के लाखों रुपए की मोटर व्हीकल टैक्स को वाहन मालिक हजम कर रहे हैं। लाखों के टैक्स बकाया होने के बाद वाहनों पर दूसरे राज्यों से नये वाहन और चेसिस नंबर लेकर बेखौफ दौड़ा रहे हैं। पुरानी गाड़ी नहीं मिलने से परिवहन विभाग को लाखों रुपए का टैक्स नहीं मिल पा रहा है। पिछले दिनों जयपुर दिल्ली रूट पर परिवहन विभाग ने ऐसी 13 गाड़ियां पकड़कर टैक्स चोरी करने के मामलों का खुलासा किया है।
ऐसे सरकार को लगा रहे चूना
भारी वाहन खासकर ट्रेवेलिंग में चलने वाली बसों पर मोटर व्हीकल टैक्स लगता है। सालाना इसके लाखों रुपए वाहन मालिक को परिवहन विभाग के जरिये सरकार को देने होते हैं। मोटी राशि बकाया हो जाने पर वाहन मालिक गाड़ियों का दूसरे राज्यों से नया वाहन नंबर, चेसिस नंबर और आरसी बनवा लेते हैं। फिर इन्हें राजस्थान में चलाते हैं। परिवहन विभाग इन्हें पकड़ नहीं पाता है। लाखों के टैक्स का चूना सरकार को लगता है।
दुर्घटना हुई तो बीमा मुआवजे में भी परेशानी
बस में सफर करने वाले यात्रियों का स्वत: ही बीमा होता है। दुर्घटना होने की स्थिति में बीमा क्लेम से यात्रियों को बीमा मिलने में भी इससे परेशानी खड़ी हो सकती है। क्योंकि बीमा कंपनी घायल या मृत होने वाले यात्रियों को बीमा क्लेम देने से पहले वाहन निर्मात्ता कंपनी से वाहन नंबर और चेसिस नंबर का वैरिफिकेशन करती है। वाहन निर्मात्ता कंपनी दुर्घटना में क्षतिग्रस्त वाहन के नंबर और चैसिस नंबर को खुद का होने से इंकार कर देती है तो दुर्घटना में घायल-मृत लोगों को बीमा क्लेम से परेशान होना पड़ सकता है।
यूं पकड़े वाहन, कंपनी की रिपोर्ट से हुआ खुलासा
जिला परिवहन अधिकारी जयपुर द्वितीय में इस तरह के गौरखधंधा करने वाले वाहनों की मुखबिर से सूचना पर इन्हें पकड़ा। जिनके अरूणाचल, मणिपुर, नागालैंड सहित अन्य राज्यों के वाहन नंबर और चैसिस नंबर थे। वाहनों को बनाने वाली कंपनी से इन वाहनों की रिपोर्ट ली गई, जिसमें सामने आया कि जिन कंपनियों के यह वाहन थे, उस कंपनी ने वाहनों को आवंटित चेसिस और वाहन नंबर जारी ही नहीं किए।
डीटीओ वाहन कारण
कोटपूतली 4 बसें तीन फर्जी चेसिस, एक का मॉडल बदला।
शाहपुरा 5 बसें फर्जी चेसिस
जयपुर फळड-कक 4 बसें तीन फर्जी चेसिस, एक फर्जी नंबर प्लेट।
मॉडल अपडेट का भी चल रहा खेल
परिवहन विभाग के पकड़े गए वाहनों में कुछ ऐसे भी वाहन सामने आए हैं, जिनका ट्रांसपोर्टेशन का परमिट खत्म हो गया था। इन वाहन मालिको ने दूसरे राज्यों से वाहनों के मॉडल को तीन-चार साल अपडेट करा लेते हैं ताकि अपडेट कराके वाहनों को और अधिक समय तक चलाकर कमाई की जा सके। यह भी मोटर व्हीकल एक्ट का खुला उल्लंघन है।
इस तरह के वाहनों की विभाग लगातार धरपकड़ कर रहा है। उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराके कार्रवाई की जाती है। सभी परिवहन टीमों को ऐसे वाहनों पर कठोर कार्रवाई के निर्देश हैं।
-संजय शर्मा, जिला परिवहन अधिकारी, जयपुर द्वितीय