अजमेर न्यूज़ डेस्क – राजस्थान के अजमेर जिले के रामगंज क्षेत्र में निर्माण और सृजन के देवता भगवान विश्वकर्मा का 95 साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर जांगिड़ समाज के लोगों के साथ-साथ अन्य समाज के लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर समिति के एक सदस्य ने जानकारी देते हुए बताया कि समाज का कोई भी व्यक्ति जब भी कोई शुभ कार्य शुरू करता है तो सबसे पहले यहां माथा टेकता है। फिर उस कार्य को शुरू करता है।
10 जुलाई 1930 को हुई थी स्थापना
मंदिर समिति के सदस्य महेंद्र सिंह ने बताया कि मंदिर में मूर्ति की स्थापना 10 जुलाई 1930 को जांगिड़ समाज द्वारा बड़े धूमधाम से की गई थी। उन दिनों अजमेर के आसपास के क्षेत्र में पुष्कर को छोड़कर कहीं भी विश्वकर्मा मंदिर नहीं था। रेलवे की नौकरी के कारण कई जगहों से जांगिड़ समाज के लोग अजमेर में आकर रहने लगे। इस मंदिर की स्थापना का आयोजन बड़े उत्साह के साथ किया गया था। इसमें समाज के सैकड़ों लोगों ने भाग लिया था।
शादी का पहला निमंत्रण यहीं दिया जाता है
समिति सदस्य ने आगे बताया कि समाज में अगर किसी की शादी होती है तो पहला निमंत्रण कार्ड भगवान विश्वकर्मा को यहीं दिया जाता है. अगर किसी को रेलवे समेत अन्य संस्थाओं में नौकरी मिलती है तो वह मंदिर में दर्शन के साथ अपनी नौकरी की शुरुआत करता है. उन्होंने आगे बताया कि यहां पिछले 95 सालों से अन्नकूट महोत्सव और रेवाड़ी महोत्सव का आयोजन किया जाता है.
जन्मोत्सव पर होते हैं कई कार्यक्रम
मंदिर समिति सदस्य ने आगे बताया कि विश्वकर्मा जयंती पर बड़े धूमधाम से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस दौरान यहां कलश यात्रा और शोभा यात्रा निकलती है. अजमेर का जांगिड़ समाज यहां एकत्रित होकर भगवान की विशेष पूजा-अर्चना करता है. समाज के लोग अपनी कला के अनुसार अपने औजार यहां लाते हैं और भगवान के सामने रखकर उनकी पूजा करते हैं. इसके साथ ही यहां जागरण भी किया जाता है.