अजमेर न्यूज़ डेस्क, कोरोना काल में ऑक्सीजन के अभाव में सांसें टूटने से हजारों लोगों की मौत के बाद भी सरकार और प्रशासन ऑक्सीजन प्लांट के प्रति संजीदा नहीं है। कोविड 19 के बाद ऑक्सीजन प्लांट तो लगा दिए मगर इनका संचालन एवं मेंटिनेंस करने के लिए आज तक ना तो ऑपरेटर लगाए गए और ना तकनीशियन नियु्क्त किए गए हैं। जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में कहने को भले ही आठ ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हैं, मगर इनमें से मात्र दो का ही संचालन हो पा रहा है। छह प्लांट बंद पड़े हैं। चिकित्सा शिक्षा सचिव अबरीश कुमार की ओर से ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण करने के दौरान बंद मिले प्लांट पर उन्होंने संबंधित एजेन्सी प्रतिनिधि से बात कर तत्काल प्लांट शुरू करने के निर्देश दिए मगर सात दिन बीतने के बावजूद हालात जस के तस हैं। लिक्विड ऑक्सीजन प्लांट कैप्सूल के रूप में अस्पताल की ऑक्सीजन लाइन में सप्लाई कर रहा है। जबकि अन्य विभाग सिलेण्डर के भरोसे हैं।ऑपरेटर व तकनीशियन की दरकारअस्पताल में कुल आठ ऑक्सीजन प्लांट के लिहाज से करीब 16 तकनीशियन एवं 8 ऑपरेटर की जरूरत है। ताकि कुछ नजदीकी दो-दो प्लांट का जिमा संभाल सके। वर्तमान में नर्सिंग ऑफिसर एवं नर्सिंगकर्मी, वार्ड बॉय प्लांट में काम कर रहे हैं। लेकिन जरा सी तकनीकी खराबी पर प्लांट बंद करना पड़ता है।
पीएम केयर का एक ऑक्सीजन प्लांट, स्मार्टसिटी की ओर से स्थापित 2 ऑक्सीजन प्लांट (एक हजार एलपीएम), कार्डियोलॉजी में (50 एलपीएम क्षमता) का ऑक्सीजन प्लांट, प्रशासनिक भवन के पास स्थित एडीए का (750 एलपीएम क्षमता) का ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा है।
यह विभाग सिलेण्डर के भरोसे
टीबी, कार्डियोलॉजी,शिशु रोग विभाग ऑक्सीजन सिलेण्डर के भरोसे हैं। अस्पताल में करीब 250 सिलेण्डर की प्रतिदिन खपत हो रही है। जिन पर महीनेभर में करीब 14 से 18 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं। अगर ऑक्सीजन प्लांट संचालित हों तो इनकी बचत हो सकती है।
जिले में भी ऐसे ही हालात
जिलेभर में ऑक्सीजन प्लांटों के भी ऐसे ही हालात हैं। अधिकांश जगह ऑपरेटर व तकनीशियन नहीं है।
इनका कहना है…
अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट संचालन के लिए ऑपरेटर नहीं है लेकिन प्रशिक्षित वार्डबॉय ऑपरेट कर रहे हैं। मेंटिनेंस के लिए निजी फर्म को ठेका दे रखा है। तकनीशियन नहीं है।