चित्तौड़गढ़ न्यूज़ डेस्क,चित्तौड़गढ़ जिला परिषद के वार्ड 22 के उपचुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने अपना परचम लहराया है। शनिवार को कुल 6 राउंड में मतगणना की गई। बीजेपी के प्रभुलाल धाकड़ ने कांग्रेस के मनोज धाकड़ को 2023 मतों से हरा दिया। बीजेपी के जीत की सूचना मिलते ही भारतीय जनता पार्टी के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्री चौराहे पर एकत्रित होकर खुशियां मनाई। सभी ने प्रभुलाल धाकड़ को मिठाई खिलाकर उन्हें जीत की बधाई दी।बड़ी बात यह थी कि इस बार इस वार्ड से सिर्फ 29.18 प्रतिशत ही मतदान हुए। साल 2020 में हुए चुनाव में 90 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस सीट से बेगूं विधायक ने जीत हासिल कर जिला प्रमुख बने थे। विधायक बनने के बाद उन्होंने इस पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद यह उपचुनाव हुआ। वहीं, बेगूं विधायक ने अफीम काश्तकारी जैसे विषम परिस्थितियों के बीच इतने कम प्रतिशत में भी 2000 मतों से हुई जीत को यादगार बताया। अब रविवार को जिला प्रमुख के सीट का फैसला किया जाएगा।
मतदाताओं ने दिखाई थी उदासीनता
शनिवार सुबह मतगणना शुरुआत हुई। 6 राउंड में यह काउंटिंग की गई। इस बार इतना कम मतदान होने के बावजूद भी 202 मत तो सिर्फ नोटा क ही थे। नोटा यानी 202 ऐसे मतदाता थे जिन्होंने दोनों प्रत्याशियों पर ही भरोसा नहीं जताया।
चित्तौड़गढ़ जिला परिषद के वार्ड 22 के उपचुनाव में शुक्रवार को बेगूं पंचायत समिति की 14 ग्राम पंचायतों के 54 मतदान केंद्रों पर मात्र 29.18% मतदान हुआ, जो अब तक के चुनावों में सबसे कम है। साल 2020 में हुए मतदान में 90 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार मतदाताओं की उदासीनता के चलते सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। शुक्रवार को 39023 मतदाताओं में से सिर्फ 11387 मतदाताओं ने ही वोट दिए।फाइनल रिजल्ट में बीजेपी के प्रभुलाल धाकड़ को 6604 और कांग्रेस के मनोज धाकड़ को 4581 मत मिले। 202 मत नोटा के निकले। रिजल्ट के अनुसार बीजेपी के प्रभुलाल धाकड़ ने कांग्रेस के मनोज धाकड़ को 2023 मतों से हराया। किसी भी राउंड में कांग्रेस बढ़त नहीं बना पाई। यहां तक कि प्रत्याशी मनोज धाकड़ एक हजार का आंकड़ा भी पूरा नहीं कर पाए।
जनता से जुड़ नहीं पाए दोनों प्रत्याशी
इस बार सिर्फ मतदाताओं में ही नहीं, बल्कि प्रत्याशियों की भी उदासीनता देखने को मिली। मतदाताओं द्वारा कम वोटिंग का एक कारण यह माना जा रहा है कि अधिकतर किसान अफीम काश्तकारी में बिजी रहे। जिसके कारण वे मतदाता केंद्रों तक नहीं पहुंच पाए। लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा है कि दोनों ही पार्टी के नेताओं द्वारा और प्रत्याशियों द्वारा प्रचार प्रसार में भी काफी कमी रखी गई है। इसके अलावा जिला परिषद के कार्यकाल को खत्म होने सिर्फ 10 महीने ही बचा है। ऐसे में प्रत्याशियों ने भी इस और ज्यादा इंटरेस्ट नहीं लिया। नामांकन के समय से ही यह बात सामने आ गई थी। दोनों ही पार्टी ने आखिरी दिन आनन फानन में अपना पर्चा भरा। कांग्रेस का हाल तो यह था कि दोपहर 1 बजे तक उन्हें अपने ही प्रत्याशी का पता नहीं था। मनोज धाकड़ को अचानक लाकर खड़ा कर दिया जिसके लिए खुद मनोज धाकड़ भी तैयार नहीं थे। उन्हें चित्तौड़गढ़ जिले के बड़े नेताओं ने समझाया और चुनाव लड़ने की हिम्मत दी। तब जाकर 2.30 बजे कांग्रेस के पदाधिकारी एकत्रित हुए और नामांकन भरा। हालांकि बीजेपी की सीट बीजेपी को ही मिली।