भरतपुर न्यूज़ डेस्क, भुसावर कृषि कॉलेज में ग्रामीण उद्यमिता कृषि जागरूकता अभियान के तहत एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कॉलेज के डीन डॉ. उदय भान सिंह ने किसानों की प्रमुख समस्याओं पर चर्चा करते हुए समाधान प्रस्तुत किए।
डॉ. सिंह ने बताया कि किसानों द्वारा यूरिया के प्रयोग के बावजूद गेहूं की फसल में पीलेपन की समस्या बनी हुई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समस्या जिंक की कमी के कारण हो सकती है और इसके समाधान के लिए 0.2 प्रतिशत जिंक घोल का छिड़काव करने की सलाह दी।
फसलों में रोग नियंत्रण के लिए विशेष दिशा-निर्देश दिए गए। सरसों में झुलसा और सफेद रोली तथा आलू में लेट ब्लाइट की स्थिति में ब्लाइटोक्स 50 या मेन्कोजेब का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई। उत्पादन बढ़ाने के लिए सरसों की 65-70 दिन की अवस्था और गेहूं में बाली निकलने के समय थायोयूरिया के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने से 8-10 प्रतिशत तक उपज में वृद्धि की जा सकती है।
विशेषज्ञों ने सिंचाई प्रबंधन पर भी महत्वपूर्ण सुझाव दिए। मावट वाले क्षेत्रों में सरसों की फसल में सिंचाई न करने की सलाह दी गई, क्योंकि अधिक नमी से रोग का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, गेहूं में बाली आने और दूधिया अवस्था पर सिंचाई अवश्य करनी चाहिए। बेर की फसल में फल मक्खी के प्रकोप से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए मेलाथियोन 50 ईसी का 1 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई।