बाड़मेर न्यूज़ डेस्क – बीकानेर के कोलायत क्षेत्र के खेजड़ला की रोड़ी गांव में पिछले 218 दिनों से पर्यावरण बचाओ संघर्ष समिति का धरना चल रहा है। इस आंदोलन के समर्थन में प्रकृति बचाओ आंदोलन समिति ने सोमवार को सीमावर्ती बाड़मेर में बंद का आह्वान किया था। बंद के दौरान व्यापारियों ने अपनी मर्जी से अपने प्रतिष्ठान बंद रखे और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध जताया। हालांकि किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए पुलिस प्रशासन ने बड़ी संख्या में जाब्ता और आरएसी के जवान तैनात किए थे। बाड़मेर में सुबह से दोपहर एक बजे तक अधिकांश प्रतिष्ठान बंद रहे। इस दौरान वन्यजीव और पर्यावरण प्रेमियों ने अंबेडकर सर्किल से जिला कलेक्टर कार्यालय तक जुलूस निकाला।
बड़े पैमाने पर लगाए जा रहे सोलर प्लांट
पर्यावरण प्रेमियों ने बताया कि वर्तमान में बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर और बीकानेर सहित राजस्थान के कई इलाकों में सोलर कंपनियां बड़े पैमाने पर प्लांट लगा रही हैं। इन संयंत्रों की स्थापना के दौरान राजस्थान के कल्पवृक्ष कहे जाने वाले खेजड़ी के पेड़ों को बड़ी संख्या में काटा जा रहा है।पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसके दूरगामी दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। पिछले साल रेगिस्तानी इलाकों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था और इस साल भी यह 35 डिग्री को पार कर चुका है। उनका मानना है कि विकास के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई भविष्य के लिए गंभीर खतरा है।
”कड़ा कानून बनाया जाए”
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से राज्य वृक्ष खेजड़ी को बचाने के लिए सख्त कानून बनाने की मांग की। उन्होंने खेजड़ली गांव में अमृता देवी और सैकड़ों ग्रामीणों द्वारा खेजड़ी की रक्षा के लिए दिए गए बलिदान की याद दिलाई और कहा कि वे इसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे।फिलहाल कानून के तहत खेजड़ी के पेड़ों को काटने पर सिर्फ 100 रुपये का जुर्माना है, जो सालों पहले लागू किया गया था और अब अप्रासंगिक हो गया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाती, तब तक राजस्थान के हर जिला मुख्यालय पर इस तरह के प्रदर्शन किए जाएंगे, ताकि उनकी आवाज सरकार तक पहुंच सके।