जयपुर। विधानसभा में प्रश्न का लिखित उत्तर पढ़ा जाए या नहीं, इस विषय पर 8 मिनट बहस चलती रही। प्रश्नकाल के दौरान लिखित उत्तर को पढ़ने पर बहस इसलिए हुई कि पहले सवाल का लिखित उत्तर मंत्री ने पढ़ा। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने आसान से व्यवस्था देते हुए कहा कि आसान तय कर चुका कि लिखित उत्तर पर अगर प्रश्न का लिखित उत्तर सदस्यों के पास आ गया, उसे लिखित उत्तर को पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। लिखित उत्तर पढ़ा जाना चाहिए। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि सभी सदस्यों के पास लिखित उत्तर नहीं पहुंचता है। मंत्री का जवाब रिकॉर्ड पर नहीं आता है, ऐसी स्थिति में लिखित उत्तर पढ़ा जाना चाहिए।
देवनानी ने कहा कि लिखित उत्तर सभी सदस्यों के पास पहुंचता है। साथ में ऐसे में लिखित उत्तर नहीं पढ़ने से समय की बचत होगी। इस पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी बहस में कूद पड़े और कहा कि लिखित उत्तर पढ़ना जरूरी होना चाहिए। जोगाराम पटेल ने भी सदन के नियमों की किताब दिखाते हुए कहा कि इसमें भी लिखित उत्तर पढ़ने का उल्लेख है। इस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पहले भी सदन में आसान से व्यवस्था दी गई है। लिखित उत्तर पढ़ने की कोई जरूरत नहीं दिखती। यह सदन की परंपरा रही है। अगर प्रश्न पूछने वाला सदस्य संतुष्ट है। तो वह सीधे ही पूरक प्रश्न पूछ सकता है।
इस पर सदन में वन मंत्री संजय शर्मा भी बोलते खड़े हुए। स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सभी सदस्यों को बिठाया और कहा कि अभी आसन की तरफ से व्यवस्था दी गई है सीधे पूरक प्रश्न पूछना चाहता है। उसे प्रश्न के विषय में लिखित उत्तर पढ़ना जरूरी नहीं। व्यवस्था जो दे दी। वह व्यवस्था बहस का मुद्दा नहीं हो सकती।