श्री गंगानगर न्यूज डेस्क,राजस्थान में श्रीगंगानगर के घड़साना में किसान मोर्चा लंबे समय से इंदिरा गांधी नहर परियोजना से सिंचाई के लिए पानी की मांग को लेकर एसडीएम ऑफिस पर धरना दे रहा है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं होने पर किसानों ने ADM अशोक सांगवा और SDM दीपक चंदन को 3 घंटे तक ऑफिस में बंधक बनाए रखा. गेट पर बल्लियां लगाकर बंद कर दिया. किसानों की मांगे पूरी नहीं होने पर 13 फरवरी को 620 RD पर महापड़ाव डालने का फैसला लिया और 15 फरवरी से चक्का जाम करके नेशनल हाईवे-911 को अलग-अलग जगहों पर जाम करने की चेतावनी दी.किसान नेता सबसे पहले रामसिंहपुर, अनूपगढ़, रावला, घड़साना, 365 हेड, खाजूवाला, सत्तासर, 465 हेड, लूणकरणसर, श्रीविजयनगर, रावतसर और नौरंगदेसर को जाम करने की बात कही.
सिंचाई पानी की मांग को लेकर किसानों का संघर्ष शुरू
घड़साना में किसानों ने इंदिरा गांधी नहर परियोजना से अतिरिक्त सिंचाई पानी की मांग को लेकर संघर्ष शुरू कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले शुरू हुआ यह महापड़ाव जारी है. किसानों की मुख्य मांग है कि उन्हें नहर परियोजना से सिंचाई का अतिरिक्त पानी दिया जाए.
पांचवीं बार भी बातचीत रही असफल
SDM कार्यालय में ADM अशोक सांगवा की अध्यक्षता में अधिकारियों और किसानों के बीच मंगलवार को पांचवें दौर की वार्ता हुई. जब परियोजना चीफ रस्तोगी ने किसानों की मांग पूरी करने में असमर्थता जताई. इससे गुस्सा होकर किसानों ने ADM कार्यालय के दरवाजे बंद कर दिए. स्थिति तब और गंभीर हो गई जब आक्रोशित किसानों ने बैरिकेड्स तोड़कर कार्यालय में घुसने की चेतावनी दे दी. इस धमकी के बाद प्रशासनिक अमला पूरी तरह अलर्ट मोड पर आ गया.इस धरने में किसानों के साथ विधायक शिमला नायक भी शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि अनूपगढ़ क्षेत्र की समस्याओं को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है. उन्होंने संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है.
किसानों ने मांगे 7800 क्यूसेक पानी
किसान नेता सुनील गोदारा के अनुसार खेतों में गेहूं, चना और जौ की फसल पकने वाली है. अगर समय पर सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला, तो फसल खराब होने का खतरा है. सिंचाई विभाग ने अनूपगढ़ शाखा में 1500 क्यूसेक पानी के हिसाब से 5 दिन पानी चलाने का प्रस्ताव रखा है.इस प्रस्ताव के हिसाब से कुल 7500 क्यूसेक पानी की खपत होगी. किसानों का सुझाव है कि इसी पानी को तीन-चार दिन में वितरित किया जाए, जिससे 7800 क्यूसेक पानी का उपयोग होगा. इस व्यवस्था से सिंचाई और पेयजल दोनों की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी.