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Rajasthan News: 9 माह में आधा बजट भी न खर्च हुआ और न ही हुई आधी कमाई

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कोटा। नगर निगम कोटा उत्तर की एक दिन पहले हहुई बजट बोर्ट बैठक में आगामी वित्त वर्ष के लिए करीब 701 करोड़ रुपए आय और 697 करोड़ रुपए व्यय का बजट पारित किया गया है। लेकिन हालत यह है कि चालू वित्त वर्ष के लिए जितना आय-व्वय का बजट रखा  गया था। दिसम्बर 2024 तक 9 माह में न तो बजट का आधा खर्चा हुआ और न ही आधी कमाई हुई। नगर निगम द्वकोटा उत्तर व दक्षिण ारा हर साल शहर के विकास के लिए आय-व्यय का बजट पेश किया जाता है। उस बजट के हिसाब से ही आय और खर्चा किया जाता है। नगर निगम कोटा उत्तर की ओर से गत वर्ष 13 फरवरी 2024 को बजट बोर्ड बैठक की गई थी। जिसमें चालू वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आय का बजट 676.75 करोड़ रुपए और व्यय का बजट 606.63 करोड़ रुपए का पारित किया गया था। लेकिन बाद में इसे संशोधित करते हुए आय का बजट 438.46 करोड़ रुपए का और व्यय का बजट 533.30 करोड़ रुपए का कर दिया गया था। लेकिन हालत यह है कि वित्त वर्ष के 9 माह बीतने दिसम्बर 2024 तक नगर निगम कोटा उत्तर द्वारा आय के बजट में से मात्र 176.10 करोड़ रुपए और व्यय के बजट में से मात्र 210.86 करोड़ रुपए ही खर्चा किया जा सका है। यह आय-व्वय के बजट का 50 फीसदी भी नहीं है। 

विकास कार्य  में यह था प्रावधान
निगम कोटा उत्तर की ओर से पूरे साल में विकास कार्य के मद में खर्च का बजट प्रावधान 356.95 करोड़ रुपए का रखा गया था। जिसमें से 9 माह में  113.12 करोड़  रुपए ही खर्चा किया गया।  जबकि आगामी वर्ष के लिए इस मद में 500.15 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। सफाई और गैराज में यह रहा खर्चा: कोटा उत्तर निगम द्वारा जन स्वास्स्य मद जिसमें साफ सफाई और गैराज शामिल है के लिए 107.50 करोड़ रुपए व्यय का प्रावधान किया गया  गया था। लेकिन खर्चा मात्र 61.24 करोड़ रुपए हुआ है। जिसमें साफ सफाई  के 95.50 करोड़ में से 55.30 करोड़ रुपए और गैराज के  12 करोड़ में से 5.93 करोड़ रुपए ही खर्चा किया गया।  जबकि आगामी वर्ष के लिए 122.80 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है।  वहीं नई सम्पति खरीदने के लिए  1.81 करोड़ का बजट था जिसमें से मात्र 11.87 लाख रुपए ही खर्चा किया गया। 

रोशनी का 6.40 करोड़ का बजट था
कोटा उत्तर निगम क्षेत्र में रोशनी व्यवस्था के लिए 6.40 करोड़ रुपए  खर्च का बजट प्रावधान किया गया था।  जिसमें से  2.87 करोड़ रुपए ही खर्चा किया गया।  इसी तरह से उद्यान मद में  3.14 करोड़ का प्रावधान था जिसमें से 1.85 करोड़ ही खर्चा किया गया। सार्वजनिक निर्माण अनुभाग मद में 5.75 करोड़ का प्रावधान था। जिसमें से 3.3 करोड़ रुपए ही खर्चा किया गया। चुंगी पुनर्भरण से भी नहीं हुई कमाई: नगर निगम कोटा उत्तर द्वारा चालू वित्त वर्ष में आय का सबसे बड़ा साधन चुंगी पुनर्भरण है। जिससे आय का प्रावधान 120 करोड़ रुपए का रखा था। जिसमें से 9 माह में  52.61 करोड़ रुपए ही आय हुई है।  नगरीय विकास कर(यूडी टैक्स) का बजट 10 करोड़ था। जिसमें से 2.24 करोड़ रुपए ही आय हुई है।  भूमि विक्रय से आय का बजट 32.46 करोड़ का बजट रखा था जिसमें से एक रुपए भी कमाई नहीं हुई है।  विवाह स्थल पंजीयन से  1 करोड़ का बजट था जिसमें से एक रुपए की कमाई नहीं हुई।  मोबाइल टावर पर शुल्क से 3 करोड़ का प्रावधान था। जिसमें से 1.22 लाख रुपए आय हुई। 

इनका कहना है
हर साल बजट में आय और व्यय का प्रावधान  रखा जाता है। जिसके आधार पर ही खर्चा और आय की जाती है। चालू वित्त वर्ष के लिए  जो बजट प्रावधान किया गया था। उसमें से अभी दिसम्बर 2024 तक का ही आय-व्यय ब्यौरा प्राप्तहुआ है। जबकि अभी तीन माह का समय शेष है। बजट के अंतिम तिमाही में ही अधिक खर्चा व आय होती है। वित्त वर्ष समाप्त होने के बाद ही वास्तविक आंकड़ा आएगा। 
– मंजू मेहरा, महापौर नगर निगम कोटा उत्तर 

पार्षदों का यह है कहना
अधिकारी एसी कमरों में बैठकर बजट  तैयार कर देते है जो हकीकत से परे होता है। बजट बनने के बाद उसका उपयोग करने के  लिए पार्षद निगम अधिकारियों के चक्कर लगाते रहते हैं लेकिन अधिकारी काम ही नहीं करवाते। जब काम नहीं करवाएंगे तो बजट खर्च कैसे होगा। कमाई पर तो अधिकारियों का विजन ही नहीं है। 
– नवल सिंह हाड़ा, पार्षद वार्ड 31

हर साल बजट की बोर्ड बैठक में मुक्तिधाम की दुर्दशा से लेकर वार्ड में विकास कार्य करवाने के मुद्दे उठाती रही हूं। लेकिन अधिकारी सुनते ही नहीं है। वार्डों में विकास के काम करवाने के लिए अधिकारियों से गिड़गिड़ाना पड़ता है। काम नहीं होने से जनता उन्हें भला बुरा कहती है। बजट काम के लिए बनता है लेकिन उसे खर्च ही नहीं करते।
– मेघा गुर्जर, पार्षद वार्ड 57

पटरी पार रेलवे कॉलोनी का वार्ड है। यह सबसे बड़ा वार्ड है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र का हिस्सा नगर निगम में शामिल हुआ है। लेकिन यहां पूरे चार साल में जो काम होने चाहिए थे उनमें से कोई काम नहीं हुए। अधिकारियों से लड़-लड़ कर काम करवाने का प्रयास किया गया। लेकिन वार्ड में रोड लाइटें तो लगाई नहीं गई। बजट बनाना और पारित करना ही पर्याप्त नहीं है। उसका उपयोग भी करना चाहिए। जब काम ही नहीं करेंगे तो खर्चा कहां से होगा। 
– संतोष बैरवा, पार्षद वार्ड 43

नगर निगम का बोर्ड बनने के बाद कांग्रेस शासन काल में तत्कालीन स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल के समय में वार्डों में काम हुए थे। लेकिन सरकार बदलने के बाद काम ठप पड़े हुए हैं। नगर निगम में महापौर से लेकर आयुक्त तक को कई बार निवेदन किया गया लेकिन बार-बार कार्य के टेंडर निरस्त कर दिए जाते हैं। बोर्ड बैठक में मुद्दे उठाने के बाद भी काम नहीं हो रहे।  काम ही नहीं होंगे तो खर्चा कैसे करेंगे। 
– रेणु नरवाला, पार्षद  वार्ड 67 

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