जयपुर न्यूज़ डेस्क – राजस्थान में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों के निर्माण की धीमी गति के कारण बेघर लोगों का अपना घर होने का सपना अधूरा है। योजना के पहले चरण में 2.88 लाख मकान बनाए जाने थे, लेकिन इनमें से 73 हजार मकान अभी तक नहीं बन पाए हैं।इस बीच, नगरीय विकास विभाग ने योजना के 2.0 संस्करण में करीब 24 हजार और मकानों की जरूरत बताते हुए केंद्र सरकार से 283 करोड़ रुपए का अंशदान मांगा है। नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा द्वारा राजस्थान विधानसभा में पूछे गए सवाल के जवाब में ये तथ्य सामने आए हैं।
यह है आवास क्षेत्र
मुख्यमंत्री आवास योजना में: ईडब्ल्यूएस के लिए आवास क्षेत्र 350 वर्ग फीट और एलआईजी के लिए 550 वर्ग फीट है।
प्रधानमंत्री आवास योजना में: ईडब्ल्यूएस के लिए आवास क्षेत्र 322 वर्ग फीट और एलआईजी के लिए 645 वर्ग फीट है।
इधर, अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग स्कीम में भी राजस्थान पिछड़ा हुआ है। केंद्र सरकार की रेंटल हाउसिंग स्कीम में राजस्थान सक्रिय नहीं है। इसके लिए न तो निजी डेवलपर्स आगे आए और न ही सरकारी हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में तय संख्या में ऐसे मकानों की पहचान की गई। राजस्थान में अभी 35 हजार से ज्यादा मकान खाली हैं। इनमें निजी और सरकारी दोनों तरह के मकान शामिल हैं।