कोटा। शहर में श्वानों की समस्या लगातार बनी हुई है। आए दिन श्वान लोगों को काट रहे हैं। इसके लिए नगर निगम जिम्मेदार होने के बाद भी वह अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है। नगर निगम द्वारा इस समस्या का समाधान करने की जगह श्वानों का बधियाकरण व वैक्सीनेशन करने वाली फर्म का कार्यादेश निरस्त कर इस समस्या का समाधान करने के स्थान पर उसे और विकराल बना दिया है। शहर में हर गली मौहल्ले और मुख्य मार्ग पर श्वानों का जमघट लगा हुआ है। श्वानों का इतना अधिक आतंक है कि कोई भी व्यक्ति उनके पास से चाहे वाहन लेकर निकल जाए या पैदल वे उसके पीछे काटने के लिए दौड़ते हुए देखे जा सकते है। यह समस्या बरसों से बनी हुई है। लेकिन नगर निगम द्वारा इस समस्या का अभी तक भी कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया है। जबकि हर व्यक्ति इससे परेशान है।
श्वानशाला बनाकर की इतिश्री
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की ओर से लाखों रुपए खर्च कर बंधा धर्मपुरा में श्वानशाला तो बना दी। श्वानों को पकड़कर उनका वैक्सीनेशन व बधियाकरण करने का ठेका भी कर दिया। लेकिन सिर्फ उन श्वानों को वैक्सीनेशन व बधियाकतण के बाद उसी जगह पर छोड़ना होता है। जिससे श्वानों की समस्या का स्थायी समाधान नहीं हुआ है।
एक को किया डीबार, दूसरी का कार्यादेश निरस्त
नगर निगम कोटा दक्षिण में श्वानों के बधियाकरण व वैक्सीनेशन का काम दो फर्म ने किया। जिनमें से पूर्व में पुणे की एक फर्म को कोटा दक्षिण की तत्कालीन आयुक्त सरिता सिंह ने कार्यादेश में शर्तो का उल्लंघन बताते हुए उसे डीबार कर दिया था। उसके बाद काफी समय तक कोई फर्म नहीं आई। कई बार टेंडर जारी किए गए। बड़ी मुश्किल से पंजाब पटियाला की फर्म ने टेंडर डाला। अगस्त 2024 में ही फर्म ने काम शुरु किया था। अब दक्षिण के आयुक्त अनुराग भार्गव ने इस फर्म का कार्यादेश यह कहते हुए कि शर्तों का उल्लंघन करने पर कार्यादेश निरस्त किया जाता है। 12 फरवरे से ही आदेश प्रभावी कर दिया गया। जिससे वर्तमान में कोटा दक्षिण निगम में अब श्वानों के बधियाकरण व वैक्सीनेशन का काम बंद हो गया है।
मुख्यमंत्री के कोटा आगमन पर हुई घटनाएं
सूत्रों के अनुसार कोटा दक्षिण में दोनों फर्म के खिलाफ जो कार्रवाई हुई वह मुख्यमंत्री के कोटा आगमन के दौरान हुई। पिछली बार हवाई अड्डे पर मुख्यमंत्री के आगमन के दौरान एक श्वान एयरपोर्ट पर आ गया था। वहीं इस बार दशहरा मैदान में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के दौरान श्वान दशहरा मैदान में आ गया था। जिसके कारण संबंधित फर्म के खिलाफ यह कार्रवाई की गई है। जानकारों के अनुसार संबंधित फर्म ने मुख्यमंत्री के प्रस्तावित मार्ग व कार्यक्रम स्थल से 15 श्वानों को पकड़ा था। फर्म द्वारा अगस्त 2024 से जनवरी 2025 तक करीब 4 हजार श्वानों का बधियाकरण किया जा चुका है।
श्वानों के समाधान के लिए निगम जिम्मेदार
विज्ञान नगर निवासी रुद्धाक्ष शर्मा ने बताया कि क्षेत्र में श्वानों की समस्या काफी गम्भीर है। आए दिन बच्चों को काट रहे हैं। लेकिन नगर निगम कुछ नहीं कर रहा। जबकि नगर निगम की जिम्मेदारी है कि वह श्वानों को पकड़कर लोगों को उनसे राहत दिलाए। बसंत विहार निवासी नीरज महावर का कहना है कि इस क्षेत्र की हर गली व मेन रोड तक पर श्वान ही श्वान घूमते रहते हैं। शाम होते ही महिलाओं व बच्चों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। आर.के. पुरम् निवासी माही सिंह का कहना है कि स्कूटी पर जाते समय आए दिन श्वान उनके पीछे भागते हैं। जिससे उनके काटने का शर बना रहता है। श्वानों को देखकर उनसे बचने के प्रयास में कई बार स्कूटी का संतुलन बिगड़ चुका है। नगर निगम को चाहिए कि वह इन्हें पकड़कर एक स्थान पर रखे। जिससे लोगों को राहत मिल सके।
कई बार लिखित में देने पर भी सुनवाई नहीं
नगर निगम कोटा दक्षिण के पार्षद अनुराग गौतम, कपिल शर्मा, पी.डी. गुप्ता, अब्दुल गफ्फार का कहना है कि दक्षिण के हर वार्ड में श्वानों का आतंक है। आए दिन श्वान लोगों को काट रहे हैं। नगर निगम आयुक्त को श्वानों की समस्या के समाधान के लिए लिखित में पत्र दिए गए। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। नगर निगम की जिम्मेदारी है कि श्वानों को पकड़कर उनसे लोगों को राहत दिलाए। लेकिन जो फर्म काम कर रही थी उसका टेंडर निरस्त करने से समाधान करने के स्थान पर इसे और विकराल बना दिया है। कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष जोगेन्द्र बीरवाल जोंटी का कहना है कि हाल ही में विज्ञान नगर में श्वानों ने एक बालक को काट लिया। उसे इतना लहुलुहार कर दिया कि वह काफी डरा हुआ है। घर से बाहर निकलने में डरने लगा है।
इनका कहना है
श्वानों की समस्या से आमजन को राहत दिलाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर बंधा धर्मपुरा में नगर निगम द्वारा पहली बार श्वानशाला बनवाई गई। श्वानों के बधियाकरण व वैक्सीनेशन के लिए टेंडर किया गया। पहले एक फर्म को तत्कालीन आयुक्त ने डीबार कर दिया था। अब दूसरी फर्म को आयुक्त ने कार्यादेश निरस्त कर दिया। कायारदेश निरस्त करने की जानकारी उन्हें आयुक्त द्वारा नहीं दी गई। लोगों के फोन आने पर इसकी जानकारी मिली। जबकि संबंधित फर्म को एक माह का नोटिस देना चाहिए था। उस दौरान नया टेंडर जारी करते। नयी फर्म के आने पर भले ही कार्यादेश निरस्त कर दिया जाता। अब कोटा दक्षिण में श्वानों का वैक्सीनेशन करने का काम पूरी तरह से ठप हो गया है।
– राजीव अग्रवाल, महापौर, नगर निगम कोटा दक्षिण