जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुरआर्ट वीक के पांचवें दिन राजस्थान की समृद्ध खाद्य परंपरा और उसके विलुप्त होते स्वाद को करीब से जानने और उन्हें फिर से जीवंत करने के लिए किशन बाग सैंड ड्यून्स पार्क में एक अनूठी फैमिली वर्कशॉप ‘द काइंडनेस मील’ का आयोजन हुआ। प्रतिभागियों को कहानियों और व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से प्राचीन अनाज, देशज पौधों और पारंपरिक स्वादों के बारे में बताया गया। पब्लिक आर्ट्स ट्रस्ट ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित जयपुर आर्ट वीक राजस्थान पत्रिका के सहयोग से हो रहा है। ‘आवतो बायरो बाजे: द थंडर्स रोर ऑफ एन एंपेंडिंग स्टॉर्म’ थीम पर आधारित इस कार्यक्रम को लिवरपूल बाइनियल, ब्रिटिश काउंसिल और एंबेसी ऑफ फ्रांस सहित कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का सहयोग प्राप्त है। आठ दिवसीय जयपुर आर्ट वीक में दुनियाभर के 30 से अधिक कलाकार भाग ले रहे हैं। समापन 3 फरवरी को होगा।
बाइस गोदाम स्थित क्रिएटिस स्टूडियो में ब्लॉक प्रिंटिंग वर्कशॉप आयोजित की गई, जहां प्रतिभागियों ने लकड़ी से बने हस्तनिर्मित ब्लॉक्स और चमकदार पिगमेंट डाई का उपयोग कर अद्भुत डिजाइनों का सृजन किया। क्रिएटिस स्टूडियो के फाउंडर मोहित ठकराल ने बताया कि इस वर्कशॉप का उद्देश्य ब्लॉक प्रिंटिंग जैसी प्राचीन हस्तकला को संरक्षित करना, नई पीढ़ी को इसके छोटे-बड़े पहलुओं की जानकारी देना रहा। ब्लॉक प्रिंटिंग एक्सपर्ट सुनैना तापड़िया ने कहा कि, यह केवल डिजाइन बनाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक यात्रा है जो हमें हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ती है। हर ब्लॉक और हर रंग एक कहानी कहता है।
खाद्य संस्कृति और विलुप्त होते स्वाद
खाद्य शोधकर्ता दीपाली ने बताया कि राजस्थान के कई प्राचीन अनाज केवल पोषण के लिए ही नहीं, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। किशन बाग की वरिष्ठ प्रकृतिवादी मेनाल ने कहा कि, हमें केवल पौधों और अनाजों पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके साथ जुड़ी पारिस्थितिकी और जैव विविधता को भी समझना चाहिए। एक प्रतिभागी ने बताया कि यह सिर्फ एक अनुभव नहीं, बल्कि एक संदेश भी था।