जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर घर-घर कचरा संग्रहण की व्यवस्था का बुरा हाल है। न तो नियमित रूप से हूपर आते हैं और न ही हेल्पर होते हैं। सबसे ज्यादा परेशान तो महिलाएं हैं। भागते-भागते हूपर में कचरा डालना पड़ता है। बुधवार को लोगों से फीडबैक लेने के लिए एक मोबाइल नंबर जारी किया। सुबह छह बजे से ही लोगों ने समस्या बताना शुरू कर दिया। शाम तक सैकड़ों लोगों ने फीडबैक दिया। कोई नियमित हूपर के न आने से परेशान था तो कई ऐसे भी थे, जिनकी गली में हूपर सिर्फ चक्कर लगाने आता है। लोगों ने वीडियो भी बनाकर भेजे। ये हाल तब है, जब दोनों नगर निगम में नियमित रूप से सफाई व्यवस्था से लेकर घर-घर कचरा संग्रहण को लेकर नियमित रूप से बैठक होती है।
नहीं बजता गाना
कई बार हूपर में गाना ही नहीं बजता। ऐसे में लोग कचरा नहीं डाल पाते। ड्राइवर बदतमीजी से बात करता है। शिकायत के बाद भी हालात नहीं सुधरे।
मनमानी से सब परेशान
4 दिन से कोई हूपर नहीं आया। हेल्पर अक्सर नहीं आता। खुद ही कचरा डालना पड़ता है। पैसे नहीं दो तो हूपर रुकना बंद हो जाता है। मनमानी से सब परेशान हैं।
नहीं रोकते हूपर
500 रुपए हर महीने मांगते हैं। हूपर को ड्राइवर रोकता नहीं है। ऐसे में भागते-भागते महिलाओं को हूपर में कचरा डालना पड़ता है।कई दिन में हूपर आता है। समय भी तय नहीं है। ज्यादातर लोग कामकाजी हैं। ऐसे में सुबह 10 बजे घर से निकल जाते हैं। हेल्पर अभद्रता से बात करते हैं।
दोपहर बाद आती गाड़ी
हेल्पर आता है, लेकिन कचरा नहीं उठाता। कई बार तो दोपहर दो बजे गाड़ी आती है। दिवाली-होली पर इनाम के लिए हर घर से कचरा लेकर जाते हैं।