जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर राजस्थान रोडवेज बसों में यात्री सुरक्षित नही हैं। आलम यह है कि यात्री कबाड़ बसों में सफर कर रहे हैं। फटी सीटें, खुली डिक्की, खड़-खड़ करते खिड़की-दरवाजे यही इन बसों की पहचान हैं। रोडवेज में आठ साल पूरे होने के बाद भी बसों को संचालित किया जा रहा है। नियमानुसार 8 साल की अवधि पूरी कर चुकी बसों का संचालन नही किया जा सकता। लेकिन रोडवेज वर्तमान में 1100 कंडम बसों का संचालन कर रहा है। इनमें करीब 2 लाख यात्री रोज जान जोखिम में डाल सफर कर रहे हैं। रोडवेज अनुबंध की बसों को लेकर भी लापरवाही कर रहा है। जयपुर-अजमेर हाईवे पर मोखमपुर के पास गुरुवार को रोडवेज बस का टायर फट गया। बेकाबू बस डिवाइडर कूदकर कार से टकरा गई। हादसे में कार सवार आठ दोस्तों की मौत हो गई। इससे राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की व्यवस्थाओं पर भी सवाल खड़े हो गए। पूरे मामले की पड़ताल की तो निगम और निजी बस ऑपरेटर की बसी खामी सामने आई।
सड़कों पर दौड़ रहीं रोडवेज की कबाड़ बसें। फोटो: रघुवीर सिंह
रोडवेज बेड़े में करीब 1300 नई बसें आनी हैं। इसके बाद जो कबाड़ बसें हैं उन्हें हटाया जा सकेगा। रोडवेज बसों की फिटनेस और मेंटिनेंस समय-समय पर की जाती हैं। सरकार को नई बसें समय पर देनी चाहिए ताकि यात्री सुरक्षित बसों में सफर कर सकें। निजी ऑपरेटर्स पर लगाम लगानी चाहिए।
निजी ऑपरेटर नहीं देते ध्या
रोडवेज बेड़े में करीब 3500 बसें हैं। इनमें से 2800 बसें रोडवेज की हैं। इसके अलावा 700 बसें अनुबंध पर हैं जिनका संचालन निजी ऑपरेटर्स की ओर से किया जाता है। लेकिन बसों को सड़कों पर उतारने के बाद इनकी जांच नहीं करते। ऐसे में खराब बस भी यात्रियों को लेकर दौड़ती है। नतीजा यह होता है कि बस दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है। पिछले दिनों जिस बस से हादसा हुआ वह निजी ऑपरेटर की थी और बस का टायर फटा था।