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Rajasthan News: Jaipur एसएमएस मेडिकल कॉलेज में पहली बार न्यूरो सर्जरी वार्ड में लगाया बार कोड

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जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर  एसएमएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल ने मरीजों को बेहतर इलाज के साथ सभी सुविधा मिले इसके लिए नई पहल की है। इसके तहत अब एसएमएस अस्पताल में भर्ती हर मरीज का फीडबैक लिया जाएगा कि इलाज किस तरह का मिला, क्या समय पर एडमिट किया गया, क्या समय पर दवाएं मिलीं, किसी तरह की परेशानी तो नहीं हुई, सफाई व्यवस्था कैसी थी। इसके लिए हर वार्ड में बार कोड लगाए जाएंगे।एक सप्ताह पहले पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसकी शुरुआत न्यूरो सर्जरी विभाग से की गई है। अब तक 90 मरीज फीडबैक दे चुके हैं, जिसमें से 74 ने व्यवस्था को बेहतर बताया है। 10 ने कहा सफाई में सुधार जरूरी है। 6 को दवाएं समय पर नहीं मिली। इसे अस्पताल प्रशासन सही करेगा।अब इसी सप्ताह से यह व्यवस्था अस्पताल के सभी वार्डों और एसएमएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध अस्पतालों में शुरू की जाएगी। इसके साथ ही एसएमएस मरीजों से फीडबैक लेने वाला प्रदेश का पहला अस्पताल बन जाएगा। जानकारी के अनुसार राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश और गुजरात के किसी भी सरकारी अस्पताल में ऐसी व्यवस्था नहीं है।

हर माह भर्ती होने वाले 40 हजार मरीजों के परिजन सुधार का विचार देंगे

एसएमएस देश का सर्वाधिक ओपीडी-आईपीडी वाला अस्पताल है। इसमें 4500 बेड हैं और हर माह करीब 30 हजार मरीज भर्ती होते हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध जनाना, महिला, गणगौरी, कावटिया, जेके लोन, बनी पार्क और सेठी कॉलोनी अस्पतालों में भी हर माह 10 हजार मरीज भर्ती होते हैं।इस व्यवस्था का फायदा हर माह भर्ती होने वाले सभी 40 हजार मरीजों को मिलेगा।

बार कोड स्कैन करते ही खुलेगा फॉर्म

बार-कोड को स्कैन करते ही एक फॉर्म खुलता है। इसमें रोगी का नाम व पंजीकरण की जानकारी मांगी जाती है। इसके बाद वार्ड/आईसीयू में मिली सेवाओं की जानकारी, सफाई, स्टाफ का व्यवहार, दवाओं की टाइमिंग व अतिरिक्त टिप्पणियां मांगी जाती हैं। इसके बाद चार ऑप्शन उत्कृष्ट, अच्छा, संतोषजनक और सुधार की आवश्यकता दिए गए हैं। इनमें से किसी एक को क्लिक करना होता है।

लगातार गिर रही छवि को सुधारने की कवायद

देशभर के मरीज एसएमएस में इलाज के लिए आते हैं और अनुभव लेकर जाते हैं। कुछ समय से एसएमएस के स्तर में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में कॉलेज के प्रिंसिपल डाॅ. दीपक माहेश्वरी व कार्यवाहक अधीक्षक डॉ. मनीष अग्रवाल ने छवि सुधारने के लिए यह व्यवस्था शुरू की है।

सब नहीं भरते फाॅर्म, इसका विकल्प निकालेंगे

अस्पताल में अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं। स्कैन कर फॉर्म नहीं भर पाते। अस्पताल प्रशासन के सामने यह चुनौती हमेशा बनी रहेगी। हालांकि सरकार के स्तर पर इसे प्रदेशभर में लागू करने की कवायद भी चल रही है। “अस्पताल में मरीजों को कैसी सुविधा मिल रही है, इसकी जानकारी लेने और सुधार के लिए बार-कोड की व्यवस्था की है। फीडबैक में जो भी कमी आएगी, उसे सुधारा जाएगा।”

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Rajasthan E Khabar Webdesk

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