जयपुर न्यूज़ डेस्क, जयपुर रेलवे ट्रैक का रख-रखाव करने वाले ट्रैक मेंटेनर का काम जोखिमभरा है। क्योंकि एक लाइन पर पटरियों की मरम्मत का कार्य करते समय दूसरी लाइन पर ट्रेनों के नियमित संचालन से उन्हें सावधान रहना पड़ता है। थोड़ी सी भी असावधानी से कई बार दुर्घटना हो जाती है। रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पूरे देश में हर साल करीब 80 से अधिक ट्रैक मेंटेनर ट्रेन की चपेट में आने से जान गंवा देते हैं। वहीं अकेले उत्तर पश्चिम रेलवे में हर साल करीब 6 ट्रैक मेंटेनर इसके चलते हादसे का शिकार होते हैं, लेकिन अब इसे रोकने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे एक नई तकनीक पर काम कर रहा है। रेलवे के जीएम अमिताभ और प्रिंसिपल सीई जीएल गोयल ने इसकी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। एम्प्लॉइज यूनियन के महामंत्री मुकेश माथुर और जीएलओ सचिव राजीव सारण ने रेलवे के इस निर्णय की सराहना की है। वहीं कहा कि ये ट्रैक मेंटेनर के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। गौरतलब है कि उत्तर पश्चिम रेलवे में करीब 9775 और अकेले जयपुर मंडल में करीब 1800 ट्रैक मेंटेनर कार्यरत हैं।
जयपुर सहित चारों मंडलों में रक्षक लगेंगे, जयपुर और अजमेर मंडल से शुरुआत
रेलवे इंजीनियरिंग विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ट्रैक मरम्मत का कार्य करने वाले ट्रैक मेंटेनर्स को ट्रैक पर ट्रेन आने की चेतावनी देने के लिए एक नई प्रणाली का विकास किया गया है, जिसे ‘रक्षक’ नाम दिया गया है। यह एक वेरी हाइ फ्रीक्वेंसी (वीएचएफ) आधारित प्रणाली है, जिससे रेलवे ट्रैक मेंटेनर्स को आने वाली ट्रेन के बारे में जानकारी मिल जाती है।
ट्रैक मेंटेनर्स को एक हैंड हेल्ड रिसीवर दिया जाएगा, जो आवाज और कंपन के जरिए ट्रैक मेंटेनरो को चेतावनी देगा।रेलवे के एक्स डीटीआई डीपी मिश्रा और आशीष पुरोहित बताते हैं कि सबसे पहले स्टेशन मास्टर एडवांस स्टार्टर सिग्नल देता है। जिसे वीएचएफ ट्रांसमीटर उस सेक्शन में सभी हैंड हेल्ड रिसीवर को सिग्नल भेजेगा। ट्रैक मेंटेनर को आवाज और कंपन चेतावनी से ट्रेन के आने की जानकारी मिल जाएगी। उत्तर पश्चिम रेलवे में जयपुर सहित चारों मंडलों में रक्षक लगाए जाएंगे। वहीं इसकी शुरुआत जयपुर और अजमेर मंडल से होगी। जिसके तहत अजमेर मंडल के ब्यावर-पालनपुर, जयपुर मंडल के जयपुर-रेवाड़ी, जयपुर-सवाईमाधोपुर, जयपुर-मदार और जयपुर-रींगस-नीमकाथाना सेक्शनों में रक्षक प्रणाली इंस्टॉल करने की मंजूरी मिल चुकी है। वहीं यहां काम पूरा होने के बाद बीकानेर और जोधपुर मंडल के कई प्रस्तावित सेक्शन में इसे लगाया जाएगा।