जालोर न्यूज़ डेस्क, जालोर पंजाब से राजस्थान के रास्ते गुजरात तक फैले अवैध शराब नेटवर्क पर पुलिस की पैनी नजर है, लेकिन तस्कर पुलिस से बचने को नए तरीके इजाद कर रहे, ताकि कार्रवाई होने पर भी मुय सरगना तक पुलिस नहीं पहुंच सके।भारतमाला परियोजना शराब तस्करी का प्रमुख नेटवर्क बन चुका है, जिस पर पुलिस की निगरानी है। हाल के दिनों में राजस्थान के अलग अलग हिस्सों में शराब तस्करी के मामलों में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए भारी मात्रा में अवैध शराब की जब्ती की है। मुय रूप से ये शराब पंजाब निर्मित है। लेकिन मामलों में अहम पक्ष यह भी है कि शराब की जब्ती के साथ पुलिस मौके से अब तक केवल चालक और कंडक्टर को ही गिरतार कर पाई है। जालोर से जुड़े मामलों की बात करें तो पांच मामलों में पुलिस बेच नंबर के अनुसार सप्लाई प्वाइंट तक जरुर पहुंची, लेकिन शराब तस्करी के पंजाब, राजस्थान और गुजरात में बैठे मुय माफिया आज भी पुलिस की गिरत से दूर है। ऐसे में शराब तस्करी पर कार्रवाई के बाद कुछ दिन की शांति के बाद यह नेटवर्क फिर से सक्रिय हो जाता है।
राजस्थान और सीमावर्ती क्षेत्र में बड़ी डिमांड
शराब की एक्साइज ड्यूटी में अंतर के चलते राजस्थान और पंजाब की शराब की रेट में अंतर है। पंजाब में निर्मित शराब राजस्थान से सस्ती है। इसलिए समान ब्रांड की शराब पंजाब में सस्ती होने पर उसे राजस्थान में खपाने के साथ शराब तस्कर इससे बड़ा मुनाफा कमाने के चक्कर में यह शराब पंजाब से राजस्थान में भेजते हैं। राजस्थान में सक्रिय शराब माफिया इसे गुजरात तक भेजते हैं।
गुजरात में राजस्थान से भी ज्यादा मुनाफा
राजस्थान में शराब बैन नहीं है, जबकि गुजरात में इसके विपरीत हालात है। अक्सर राजस्थान निर्मित शराब की तस्करी भी सीमावर्ती क्षेत्र से रानीवाड़ा, बडग़ांव, धानोल, सांचौर के सीमावर्ती क्षेत्रों से होते हुए गुजरात तक पहुंचाई जाती है और लगभग डेढ़ गुना तक मुनाफा आता है। यही कारण है कि सीमावर्ती क्षेत्र की शराब की दुकानों की गारंटी भी सर्वाधिक है। दूसरी तरफ पंजाब, हरियाणा से ट्रक, ट्रेलर से सांचौर के आस पास के एरिया तक शराब पहुंचाई जाती है। शराब तस्करी में लिप्त माफिया इस शराब को मौका पाकर गुजरात राज्य तक पहुंचा देते हैं। वहां शराब के शौकीनों से मनमर्जी के दाम वसूले जाते हैं।
पुलिस की दिक्कत-सरगना गुमनाम रहते हैं
शराब तस्करी के इस नेटवर्क में राजस्थान से ट्रक या ट्रेलर लेकर पंजाब, हरियाणा तक पहुंचने वाले ट्रक चालक को एक राशि काम के लिए दी जाती है। चालक निर्धारित समय पर तय क्षेत्र पर अपना वाहन छोड़ देता है। वहां पहले से मौजूद शस ट्रक और ट्रेलर को लेकर जाता है और उसमें शराब लोड कर देता है। ज्यादातर मामलों में यह पूरी प्रक्रिया होटल या ढाबों के आस पास होती है। 5 से 7 घंटे में ट्रक को लोड करने के साथ जरुरत पडऩे पर पुलिस की निगाह से बचाने के लिए भी तमाम इंतजाम किए जाते हैं। जिसमें कचरा, भुंसा, सीमेंट के कट्टे या रुई समेत अन्य सामान तक उसके ऊपर भरा जाता है। जिसके बाद ट्रक पुन: चालक को दे दिया जाता है। ट्रक चालक पुन: सांचौर या अन्य सीमावर्ती क्षेत्र तक पहुंचता है और तस्कर गिरोह ट्रक को खाली कर देते हैं। वहां से अक्सर छोटे वाहनों से शराब गुजरात तक पहुंचाई जाती है।
अपडेट हुए तस्कर, बैच नंबर ही हटा दिए
पुलिस ने 11 जनवरी को सिराणा टोल नाके के पास कार्रवाई को अंजाम देते हुए 500 कार्टन पंजाब निर्मित अवैध शराब जब्त की, लेकिन इस शराब पर बैच नंबर मौजूद नहीं थे। ऐसे में पुलिस संबंधित फर्म या ठेकेदार तक नहीं पहुंच पाई।