जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर रेलवे इंजन के साथ लगने वाले डिब्बे एक निर्धारित समय बाद यात्री सेवा के लिए काम में नहीं लिए जाते और रिटायर माने जाते हैं। लेकिन रेलवे के ये रिटायर डिब्बे काम के साबित हो रहे हैं। रेलवे रिटायर हो चुके ऐसे कोच को मॉडिफाई कर उसकी उपयोग अवधि 10 वर्ष और बढ़ा देता है। जोधपुर में बने विशेष प्रकार के ये डिब्बे पूरे देश में दौड़ रहे हैं। इन डिब्बों को एनएमजीएचएस (न्यूली मॉडिफाइड गुड्स साइड) कहा जाता है।
इस वर्ष 120 डिब्बों को मॉडिफाई करने का लक्ष्य: मुख्य कारखाना प्रबंधक मनोज जैन ने बताया कि चालू वित्त वर्ष में 120 रिटायर आइसीएफ डिब्बों को एनएमजीएचएस डिब्बों में तब्दील करने का लक्ष्य दिया गया है। 14 जनवरी तक 27 एनएमजीएचएस डिब्बे तैयार कर विभिन्न मंडलों को दिए गए हैं ।
कार-ट्रैक्टर व सब्जियों का लदान
इस वैगन की बनावट ऐसी होती है कि इसमें कार, ट्रैक्टर, मिनी ट्रक और दुपहिया वाहनों को आसानी से लोड-अनलोड किया जा सके। डिब्बे में रेफ्रिजरेटर की तरह रैक्स सिस्टम भी विकसित किया गया है, जिससे सब्जियों का लदान भी किया जाता है। मॉडिफाई करने के दौरान उसके अंदर से सभी सीटों,लाइट और पंखों को हटाकर लंबा हॉल नुमा आकार दिया जाता है।रेलवे में माल लदान की दृष्टि से एनएमजीएचएस डिब्बों की महत्वपूर्ण भूमिका है। निजी कंपनियों की ओर से सुरक्षित माल लदान के लिए इनकी डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है।