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Rajasthan News: राजस्थान में 20,197 आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए किराया बना जी का जंजाल, जानिए कैसे करते है किराए का भुगतान

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भीलवाड़ा न्यूज़ डेस्क – आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया सरकारी नियमों से बंधा है, लेकिन हकीकत में किराया ज्यादा है। सरकार से मिलने वाली राशि और वास्तविक किराए के बीच का अंतर कौन देता है? इस सवाल का जवाब यह है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में काम करने वाले कम आय वाले लोग इसे दे रहे हैं। वे क्या करें, उनकी कोई सुनता ही नहीं। चूंकि उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र चलाकर अपनी आजीविका चलानी है, इसलिए या तो उन्हें अपनी जेब ढीली करनी पड़ती है या फिर कुछ पोषाहार बचाकर उसे बेचकर किराया चुकाना पड़ता है। सरकार की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया ग्रामीण क्षेत्रों में 200 से 500 रुपये और शहरों में 500 से 1000 रुपये दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में एक कमरे का किराया कम से कम 1000 से 1500 रुपये है। प्रदेश में 20197 केंद्र किराए के भवनों में चल रहे हैं।

मूल किराया 1200 रुपये है…
एक आंगनबाड़ी सहायिका ने बताया कि सरकार 750 रुपये किराया देती है। वास्तविक किराया 1200 रुपए है। शेष 450 रुपए हमें अपनी जेब से देने पड़ते हैं। यह राशि सहायिका और कार्यकर्ता मिलकर देते हैं। उन्होंने बताया कि हम कुछ पोषाहार बचा लेते हैं, जिसे बाजार में बेचकर किराया चुकाते हैं। सरकार ने एक हजार से चार हजार रुपए तक किराया तय किया है, लेकिन हमें बहुत कम राशि मिलती है। किराया बढ़ाने के लिए कार्यकर्ता को पीडब्ल्यूडी इंजीनियर से रिपोर्ट लेनी पड़ती है। उसी आधार पर किराया बढ़ता है।

प्रदेश में 61,254 आंगनबाड़ी केंद्र हैं
26,771 केंद्र सरकारी भवनों में चल रहे हैं।
20,197 केंद्र किराए के भवनों में हैं।
भीलवाड़ा में 2,216 केंद्र चल रहे हैं।
269 केंद्र किराए के भवनों में हैं।
प्रदेश में 60,945 कार्यकर्ता हैं।
42,27,485 लोग लाभान्वित हो रहे हैं।

किराया ज़्यादा है तो छोटा कमरा ढूँढ़ो
अगर ज़्यादा किराया चाहिए तो रसोई, पानी और शौचालय के साथ बरामदा भी होना चाहिए। यह किराया भी पीडब्ल्यूडी इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर दिया जाता है। अगर कोई अपनी जेब से किराया दे रहा है तो उसे कम किराए वाला कमरा ढूँढ़ना चाहिए। सेंटर का किराया कम है, लेकिन कोई भी वर्कर या हेल्पर अपनी जेब से किराया नहीं देता। यह बात सभी जानते हैं।

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