अलवर न्यूज़ डेस्क – मास्टर प्लान में जयसमंद बांध के पास 165 हेक्टेयर में पार्क प्रस्तावित है। अगर यह बनता है तो लोगों को एक ही स्थान पर पार्क के साथ झील, जानवर और जंगल देखने को मिलेंगे। अगर एक साथ चार पर्यटन स्थल बन जाएं तो अलवर की अर्थव्यवस्था को पंख लग सकते हैं।
ऐसे दूर होगा जल संकट
शहर के हर ब्लॉक में कई पार्क हैं, जो बारिश के पानी को संग्रहित करते हैं। पार्क वाटर रिचार्जिंग का अच्छा माध्यम हैं। इसे ध्यान में रखते हुए मास्टर प्लान में जयसमंद झील के पास 165 हेक्टेयर जमीन को क्षेत्रीय पार्क के लिए प्रस्तावित किया गया है। अगर यह धरातल पर आता है तो हर साल पार्क का करोड़ों लीटर पानी रिचार्ज होगा और अलवर में जल संकट दूर होगा।
यहां भी बनेंगे पार्क
ईटाराणा के उत्तरी क्षेत्र में रेलवे लाइन के पश्चिमी तरफ वेयर हाउसिंग योजना में पार्क बनाने का प्रस्ताव है। अगर यह पार्क भी धरातल पर आता है तो बारिश का पानी खूब रिचार्ज होगा।
इस तरह एक साथ होंगे चार पर्यटन स्थल
सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघ से लेकर पैंथर और अन्य जानवर मौजूद हैं। यहां 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां हैं। हर साल 80 हजार से अधिक पर्यटक घूमने आते हैं।जयसमंद झील में हर बार बारिश का पानी आता है। इसे संग्रहित कर भविष्य की योजनाओं के लिए सुरक्षित रखने की योजना है। झील का पानी झरने की तरह गिरेगा। यहां पर्यटकों के बैठने की उचित व्यवस्था है।झील के पास एशिया का सबसे बड़ा चिड़ियाघर बनने जा रहा है, जिसमें कटीघाटी भी शामिल होगी। इसका क्षेत्रफल 95 हेक्टेयर होगा। इसमें 150 से अधिक जानवरों की प्रजातियां होंगी। इसमें हर साल 25 लाख से अधिक पर्यटक आएंगे।
इसके पास 165 हेक्टेयर में क्षेत्रीय पार्क बनाया जाएगा, जो प्रदेश का सबसे बड़ा पार्क होगा। इसके लिए जमीन आरक्षित कर दी गई है। बस इसे हकीकत में लाने की जरूरत है।यूआईटी के सेवानिवृत्त एसई धर्मेंद्र शर्मा का कहना है कि अगर एक साथ चार पर्यटन स्थल होंगे तो यह पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी तो अलवर का व्यापार बढ़ेगा। अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। मास्टर प्लान में प्रस्तावित रीजनल पार्क को हकीकत में लाने के प्रयास शुरू किए जाने चाहिए। चिड़ियाघर के साथ-साथ इसे भी हकीकत में लाया जाना चाहिए। यह पार्क बारिश के पानी को संग्रहित करेगा, जिससे जल संकट दूर होगा।