अलवर न्यूज़ डेस्क – राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद की ओर से जारी स्कूलों की रैंकिंग में अलवर जिला फिर फिसड्डी साबित हुआ है। टॉप-10 में आने की बजाय अलवर 22वें स्थान पर रहा है। जनवरी में 25वें स्थान के मुकाबले 3 पायदान का सुधार हुआ है। अलवर ने 150 में से 48.31 अंक हासिल किए हैं। शिक्षकों का कहना है कि टॉप टेन में शामिल होने के लिए कई बिंदुओं पर काम करने की जरूरत है। पिछले दो साल से अलवर जिले में डीईओ के पद पर अतिरिक्त कार्यभार देकर काम चलाया जा रहा है। वर्तमान में जिले में 2782 स्कूल संचालित हैं।
सभी स्कूलों के मापदंडों के आधार पर यह रैंकिंग मिली है। वहीं ओवरऑल रैंकिंग में चूरू ने 55 अंकों के साथ पहला और हनुमानगढ़ ने दूसरा स्थान हासिल किया है। दौसा जिला 35.09 अंकों के साथ अंतिम स्थान पर रहा है। ये हैं रैंकिंग के मानक स्कूली शिक्षा की रैंकिंग के लिए चार कैटेगरी तय की गई हैं। हर कैटेगरी के अपने अंक हैं। शैक्षणिक श्रेणी के लिए 100 अंक, नामांकन के लिए 20 अंक, सामुदायिक सहभागिता के लिए 20 अंक तथा आधारभूत सुविधाओं के लिए 10 अंक निर्धारित हैं। शैक्षणिक श्रेणी के अंक 7 अंक, नामांकन व सामुदायिक सहभागिता के अंक 3-3 अंक तथा आधारभूत सुविधाओं के अंक 2 अंक में विभाजित हैं। अलवर जिले में स्कूल रैंकिंग के बिंदुओं पर कार्य किया जा रहा है। सभी सीबीईओ को रैंकिंग सुधारने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि स्कूल रैंकिंग में सुधार हो सके।
जिले में संचालित कक्षा 1 से 12वीं तक के स्कूलों में शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पद रिक्त हैं, जिससे शैक्षणिक स्तर में सुधार नहीं हो पाया है। गैर शैक्षणिक पद भी रिक्त होने से रिपोर्ट पूरी तरह नहीं भरी जा रही है, जिससे अलवर पिछड़ा हुआ है। जिला शिक्षा अधिकारी का पद दो साल से रिक्त पड़ा है। इस पद को केवल अतिरिक्त चार्ज देकर भरा जा रहा है, जिससे स्कूलों की मॉनिटरिंग समय पर नहीं हो पाती है। साथ ही विद्यार्थियों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने के कारण भी अलवर की रैंकिंग पिछड़ रही है।