जोधपुर न्यूज़ डेस्क – राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विश्व की विभिन्न संगीत परंपराओं को एक साथ लाने वाला तीन दिवसीय सेक्रेड स्पिरिट फेस्टिवल (सूफी महोत्सव) 14 फरवरी से मेहरानगढ़ में आयोजित होने जा रहा है। इस 16वें संस्करण में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीतेंगे।
प्रसिद्ध कलाकार प्रस्तुति देंगे
महोत्सव में राजस्थान के प्रख्यात लोक कलाकार पद्मश्री अनवर खान मांगणियार और तालाब खान मांगणियार अपनी जादुई आवाज का जादू बिखेरेंगे। इसके अलावा घाना के ओसेई क्वामे कोरानके, तमिलनाडु का पुलियाट्टम टाइगर डांस, कोमोरो द्वीप की सूफी देबा परंपरा और आर्मेनिया के दुदुकानेर परिधान भी इस महोत्सव का हिस्सा होंगे। कर्नाटक संगीत से जुड़ी रंजिनी और गायत्री, फ्रांसीसी संगीत कलाकार पेरिन बौरेल भी अपनी कला का प्रदर्शन करेंगी।
संगीत, आध्यात्म और प्रकृति का संगम
सेक्रेड स्पिरिट फेस्टिवल केवल संगीत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह प्रकृति और आध्यात्म के आपसी संबंधों को भी उजागर करता है। इस बार भी महोत्सव में बताया जाएगा कि परंपराएं समय और स्थान को कैसे जोड़ती हैं। राजस्थान के पारंपरिक खड़ताल और कामाइचा की धुनों से लेकर आदिवासी पुलियाट्टम टाइगर डांस तक, हर प्रस्तुति सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक शांति को दर्शाएगी।
विलुप्त हो चुके वाद्य यंत्र सेपेरोवा की गूंज
घाना के मशहूर संगीतकार ओसेई क्वामे कोरानके अपने दुर्लभ वाद्य यंत्र सेपेरोवा की धुनों से दर्शकों को एक नई दुनिया में ले जाएंगे। यह वाद्य यंत्र उत्तरी घाना की जनजातियों द्वारा राजाओं के मनोरंजन के लिए बजाया जाता था। 19वीं सदी में गिटार के आगमन के बाद यह लगभग विलुप्त हो गया था, लेकिन ओसेई इसे पुनर्जीवित कर रहे हैं।
पुलियाट्टम टाइगर डांस: शक्ति और परंपरा का प्रतीक
तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में प्रचलित पुलियाट्टम टाइगर डांस भी इस महोत्सव का खास आकर्षण होगा। यह नृत्य प्राचीन आदिवासी परंपराओं से जुड़ा है, जिसमें नर्तक बाघ की वेशभूषा धारण करते हैं और उसकी हरकतों की नकल करते हैं। इस प्रस्तुति में स्थानीय वाद्य यंत्रों, ढोल और शिकारियों की दहाड़ के बीच बाघों की हरकतें दिखाई जाती हैं।
दुनिया के प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में शामिल
पिछले कुछ सालों में सेक्रेड स्पिरिट फेस्टिवल ने दुनिया के प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में अपनी जगह बना ली है। इस बार भी यह संगीत, परंपरा और आध्यात्मिकता के गहरे मिश्रण का अद्भुत अनुभव प्रदान करेगा। मेहरानगढ़ की ऐतिहासिक दीवारों के बीच सूफी संगीत की गूंज हर आने-जाने वाले के मन को सुकून देगी।