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Rajasthan News: बढ़ते तापमान और सिंचाई के लिए पानी की कमी ने बढ़ाई किसानो की चिंता, फसलों पर पड़ेगा प्रतिकूल प्रभाव

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श्रीगंगानगर न्यूज़ डेस्क – सूरतगढ़ क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से तापमान लगातार बढ़ रहा है। इससे गेहूं, जौ, चना व सरसों की फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सिंचाई पानी की कमी ने भी किसानों की चिंता बढ़ा दी है। कृषि अधिकारियों के अनुसार इस समय किसानों को फसलों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। फसलों को बचाने व उनकी ग्रोथ बढ़ाने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करने की जरूरत है। इस बार क्षेत्र में फरवरी माह की शुरूआत से ही तापमान बढ़ रहा है। वर्तमान में दिन में तापमान इतना बढ़ गया है कि सूरज की तपिश चुभने लगी है। बढ़ते तापमान का सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव गेहूं, जौ, चना व सरसों की फसलों पर पड़ रहा है। इस बार क्षेत्र में 44765 हैक्टेयर भूमि में गेहूं की बुवाई की गई है, जो गत सीजन की तुलना में इस बार बुवाई क्षेत्र में बढ़ोतरी है। इसी प्रकार इस बार भी किसानों ने सरसों की फसल पर भरोसा दिखाते हुए सर्वाधिक 43163 हैक्टेयर भूमि में इसकी बुवाई की है। 14200 हैक्टेयर भूमि में चना व 13462 हैक्टेयर भूमि में जौ की बुवाई की गई।

गेहूं और सरसों की फसलों को लेकर चिंता बढ़ी
तापमान में वृद्धि के कारण किसानों को सबसे अधिक चिंता गेहूं और सरसों की फसलों को लेकर है। कृषि अधिकारियों के अनुसार तापमान में वृद्धि के कारण गेहूं का दाना सिकुड़ जाएगा और दानों में कम भराव होगा तथा फसल जल्दी पक जाएगी। गेहूं की फसल को बचाने के लिए गेहूं की फसल के बूटलीफ और एंथेसिन अवस्था में पोटेशियम नाइट्रेट के दो प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। यदि गेहूं की बालियां आने पर एस्कॉर्बिक एसिड के 100 पीपीएम घोल का छिड़काव किया जाए तो फसल पकने के दौरान तापमान सामान्य से अधिक होने पर भी पैदावार में कोई नुकसान नहीं होता है। उन्होंने बताया कि तापमान में वृद्धि के कारण सरसों की फसल का दाना सिकुड़ जाएगा और पैदावार भी कम होगी। सरसों की फसल को पकने के समय सूखे के प्रभाव से बचाने के लिए 1 किलो पोटेशियम नाइट्रेट को 100 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल में फूल और फली आने की अवस्था पर छिड़काव करें। यदि पानी उपलब्ध हो तो सिंचाई करें।

सब कुछ फसलों पर निर्भर
क्षेत्र के किसानों का कहना है कि उनके परिवार का पालन-पोषण फसलों पर निर्भर है। अगर फसल अच्छी होगी तो परिवार में आर्थिक समस्या नहीं आएगी। पिछले सीजन में कपास की फसल खराब होने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ा था। इस समय गेहूं की फसल से काफी उम्मीदें हैं। इस कारण गेहूं की बुवाई का दायरा भी बढ़ गया है। अगर बंपर पैदावार हुई तो किसानों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि इस समय खेती करना महंगा सौदा साबित हो रहा है। ऊपर से मौसम की मार और कभी-कभी सिंचाई के पानी की कमी से भी जूझना पड़ता है। अगर सब कुछ अनुकूल रहा तो फसलों से सभी को फायदा होगा।

सिंचाई के पानी की कमी से किसान नाराज
सिंचाई के पानी की कमी से किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का कहना है कि अगर आईजीएनपी के पहले चरण में फरवरी और मार्च में सिंचाई के लिए पानी नहीं मिला तो रबी की सभी फसलें बर्बाद हो जाएंगी। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा। किसानों का कहना है कि सिंचाई के पानी की मांग को लेकर जिले में जगह-जगह आंदोलन चलाए जा रहे हैं। राज्य सरकार को भी किसानों की समस्या को गंभीरता से लेकर उसका समाधान करना चाहिए।

फसलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
सहायक कृषि अधिकारी महेंद्र कुलड़िया ने बताया कि तापमान बढ़ने से फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। सिंचाई के पानी की भी कमी हो रही है। फसलों को बचाने के लिए कृषि अधिकारियों की सलाह पर ही कीटनाशकों का छिड़काव करें।

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Rajasthan E Khabar Webdesk

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