टोंक न्यूज़ डेस्क – टोंक के समरावता में गत वर्ष 13 नवम्बर को हुई आगजनी व तोड़फोड़ के आरोपी नरेश मीना की जमानत याचिका पर बुधवार को दोपहर 2 बजे हाईकोर्ट जयपुर में सुनवाई हुई। न्यायाधीश प्रवीण भटनागर ने करीब 1 घंटे तक दोनों पक्षों को सुना। दोपहर करीब 3 बजे सुनवाई पूरी हुई। न्यायाधीश ने जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया है कि वे इस पर अपना फैसला कब देंगे, लेकिन संभावना है कि वे आज या कल इस पर फैसला दे देंगे। नरेश मीना की ओर से हाईकोर्ट में अधिवक्ता डॉ. महेश चंद शर्मा व लाखन सिंह मीना ने पैरवी की।आज सुबह 10:45 बजे हाईकोर्ट जयपुर में कोर्ट संख्या 19 में सुनवाई हुई। जिसमें न्यायाधीश प्रवीण भटनागर ने सुनवाई के लिए दोपहर 2 बजे का समय तय किया था।
अधिवक्ता लाखन सिंह मीना ने बताया कि नरेश मीना के मामले की सुनवाई लंच के बाद दोपहर 2 बजे हुई। कोर्ट संख्या 19 में सुबह 10.45 बजे मद संख्या 31 लगी। सरकार ने कहा कि हमें चालान की कॉपी नहीं मिली है, इसलिए कोर्ट ने चालान की कॉपी देकर कोर्ट फाइल में पेश करने को कहा। इसके बाद इस मामले पर सुनवाई के लिए लंच के बाद दोपहर 2 बजे का समय दिया गया। फिर दोपहर 2 बजे इस मामले की सुनवाई शुरू हुई। करीब 3 बजे पूरी हुई। वहीं नरेश मीना की जमानत याचिका पर सुनवाई को लेकर युवा खासे उत्साहित हैं। उनके समर्थक एक-दूसरे को फोन कर अपडेट ले रहे हैं। अधिवक्ताओं को फोन कर रहे हैं।
ये था नरेश मीना ने रखा पक्ष
पक्ष रखते हुए अधिवक्ता डॉ. महेश चंद्र शर्मा और लाखन सिंह मीना ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में चालान पेश हो चुका है और पिछले मामले राजनीतिक भेदभाव से दर्ज किए गए हैं। याचिकाकर्ता (नरेश मीना) राजनीतिक व्यक्ति है। समरावता के लोगों की मांग थी कि हमारा उपखंड देवली से हटाकर उनियारा बनाया जाए, नरेश मीना उस मांग को मजबूत कर रहे थे। आंदोलन को दबाने और गांव की मांग को खत्म करने के लिए प्रशासन ने रात को लाइट बंद कर दी और पूरे गांव में आग लगा दी, पुलिस ने वाहन जला दिए और ग्रामीणों के खिलाफ मुकदमे दर्ज कर दिए। वहीं सरकार ने कोर्ट को बताया कि आगजनी और तोड़फोड़ पुलिस और प्रशासन ने नहीं की।
4 फरवरी को होनी थी जमानत पर सुनवाई 13 नवंबर 2024 को टोंक जिले के देवली-उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान समरावता में रात को आगजनी, तोड़फोड़ आदि हुई थी। इसमें नगरफोर्ट थाना पुलिस ने निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। इसका मुकदमा नंबर 167/2024 है। इस मामले में नरेश मीना की ओर से जनवरी में हाईकोर्ट जयपुर में जमानत याचिका दायर की गई थी। राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर में कोर्ट नंबर 19 में 4 फरवरी को सुनवाई होनी थी। इस मामले में सरकारी पक्ष ने हाईकोर्ट में अपनी बात रखते हुए जज को बताया था कि इसमें अभी तक चालान पेश नहीं हुआ है। इसमें जांच पूरी कर 11 फरवरी को स्थानीय न्यायालय उनियारा में चालान पेश किया जाएगा। नगरफोर्ट थाना प्रभारी मिट्ठू लाल ने 11 फरवरी को उनियारा एसीजेएम न्यायालय में चालान पेश किया।
14 नवंबर 2024 को नरेश मीना को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस ने गांव को चारों तरफ से घेर लिया था। मौके पर 500 से अधिक पुलिस व एसटीएफ के जवान तैनात थे। गिरफ्तारी के बाद भी बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।14 नवंबर 2024 को नरेश मीना को गिरफ्तार करने से पहले पुलिस ने गांव को चारों तरफ से घेर लिया था। मौके पर 500 से अधिक पुलिस व एसटीएफ के जवान तैनात थे। गिरफ्तारी के बाद भी बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
यह था मामला
देवली-उनियारा विधानसभा के उपचुनाव के लिए 13 नवंबर को मतदान हुआ था। इसमें समरावता गांव के लोगों ने अपने गांव को उनियारा उपखंड कार्यालय में शामिल करने की मांग को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। उस समय निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीना भी ग्रामीणों की मांग को जायज बताते हुए ग्रामीणों के साथ धरने पर बैठ गए थे। नरेश मीना ने मतदान के बहिष्कार के बावजूद 3 लोगों को वोट डालने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाते हुए एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ मार दिया था। अगले दिन 14 नवंबर को पुलिस ने नरेश मीना को धरना स्थल से गिरफ्तार कर लिया था। फिर 15 नवंबर को कोर्ट के आदेश पर उन्हें जेल भेज दिया गया था।