उदयपुर न्यूज़ डेस्क – पक्षी ग्राम के ढांड तालाब पर प्रवासी पक्षियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां पेलिकन पक्षी ने भी दस्तक दे दी है। पेलिकन के अलावा इस पक्षी को रोजी पेलिकन, ग्रेट व्हाइट पेलिकन और डालमांशी पेलिकन के नाम से भी जाना जाता है। यह भारी और बड़े आकार का उड़ने वाला पक्षी है। नर पक्षी का वजन 9 से 15 किलो होता है। इतना भारी होने के बावजूद यह मजबूत और तेज उड़ने वाला पक्षी है। भारत में यह पक्षी उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों, मुख्य रूप से गुजरात के कच्छ और उसके आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में आता है। ये मुख्य रूप से साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर भारत आते हैं। सर्दियों के शुरू होते ही यह पक्षी भारत आना शुरू कर देता है। अपने भारी वजन के बावजूद यह कुशलता से बहुत लंबी और ऊंची उड़ान भरता है।
तीन हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ने की क्षमता
प्रवास के दौरान पक्षी करीब तीन हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक ‘वी’ आकार में उड़ते हुए यहां आते हैं। ये साइबेरिया और दक्षिण भारत की नदियों से भी प्रवास के लिए आते हैं। मेनार ढांड झील में पाया जाने वाला रोजी पेलिकन (गुलाबी पेलिकन) पेलिकैनिडे परिवार से संबंधित है, जबकि इसका वंश पेलिकनस है। डालमन पेलिकन रोजी पेलिकन से थोड़ा अलग है। यह एक दिन में 4 से 5 किलो मछलियाँ खा सकता है।
मछलियों का शिकार करता है
यह मछलियों का शिकार बहुत ही चतुराई से करता है। सबसे पहले झुंड में पानी में बहुत बड़ा घेरा बनाता है, फिर अपने पंखों से पानी को थपथपाता है। पानी के थपथपाने से मछलियाँ डर जाती हैं और घेरे के बीच में चली जाती हैं। इसके बाद यह घेरे को छोटा बनाता है और धीरे-धीरे मछलियों को अपना निवाला बनाता है। यह बड़ी से बड़ी मछली को भी आसानी से खा सकता है।