सिरोही न्यूज़ डेस्क, सिरोही टीएसपी आबूरोड ब्लॉक के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध करवाने में सरकारी की ओर से किस कदर अनदेखी की जा रही इसका पता इससे चलता है कि ब्लॉक की 32 ग्राम पंचायतों के ग्रामीण प्राथमिक चिकित्सा के लिए सिर्फ दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पर निर्भर हैं। 42 साल में एक नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुला। उच्च स्तर से नवीन स्वास्थ्य केंद्रों के लिए एक दर्जन से अधिक बार प्रस्ताव मंगवा लिए जो फाइलों में दफन होकर रह गए। सात पंचायतों वाला आदिवासी बहुल भाखर क्षेत्र तो शुरू से पीएचसी सुविधा से वंचित है। गांवों में राजकीय आयुर्वेदिक औषधालय खोले गए, लेकिन वहां अधिकांश समय चिकित्सकों की कमी रहती है।
1983 में खुले थे दो पीएचसी : ब्लॉक में वर्ष 1983 में दो प्राथमिक स्वास्थ्य चनार व देलदर गांव में खुले थे। देलदर अब तहसील मुयालय बन गया है। तब से आज तक राज्य में सरकारें बदलती गई, पर नया स्वास्थ्य केंद्र खोलने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। जनप्रतिनिधि केवल मांग करने की औपचारिकता तक सीमित रह गए। जिसका दंश आदिवासी व अन्य ग्रामीण झेल रहे हैं।
गुजरात होकर आना पड़ता है : भाखर के जांबुडी, मीन तलेटी व आसपास के गांवों में कोई गंभीर बीमार या हादसे में घायल हो जाए तो उनको वाहनों में गुजरात के अंबाजी होकर आबूरोड स्थित सरकारी अस्पताल लाना पड़ता है। इसमें दो घंटे तक लग जाते हैं। जिससे बीमार व घायल की जान को खतरा बना रहता है। बोरीबुज, बूजा, दोयतरा तो ऐसे गांव है जहां से रात में पविहन के साधन भी नहीं मिलते।
बजट में उमीद
उमीद की जा रही है कि इस माह पेश होने वाले राज्य के बजट में सरकार प्रस्तावित क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने की घोषणा करेगी। उमीद पूरी हुई तो टीएसपी आबूरोड के ग्रामीणों को बड़ी राहत मिलेगी जिसका वे दशकों से इंतजार कर रहे हैं। ब्लॉक के भाखर व अन्य ग्रामीण इलाकों में आठ नए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए प्रस्ताव भिजवाए हैं। वर्तमान में चनार व देलदर में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है।