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Rajasthan News: Sriganganagar लगातार कम होती जा रही कपास की खेती को अब मिल सकती है संजीवनी

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श्रीगंगानगर न्यूज़ डेस्क, श्रीगंगानगर इलाके में उजड रही कपास पट्टी को केन्द्र सरकार ने संजीवनी देने का प्रयास किया है। सब कुछ ठीक रहा तो अगले पांच साल में कपास पट्टी अपनी खोई चमक वापस पा सकती है। सरकार ने आम बजट में कपास के उत्पादन को बढ़ावा देने की घोषणा की है। केन्द्र ने हालांकि पिछले कई वर्षों में नई-नई योजनाएं लाने के साथ देसी कपास पर सब्सिडी तक देकर उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया, लेकिन गुलाबी सुंडी और सफेद मक्खी के प्रकोप तथा मौसम परिवर्तन के कारण किसान नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं रहे। ऐसे में कपास उत्पादन का दायरा सिमटने लगा। केंद्रीय बजट में सरकार ने कपास की पैदावार बढ़ाने के लिए पांच साल का मिशन तय किया है। कपास को बढ़ावा देने का मकसद कॉटन उद्योग को दोबारा से जीवन प्रदान करना है। कॉटन उत्पादन में राजस्थान में श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले का नाम सबसे ऊपर आता है। पड़ोसी राज्य हरियाणा के ऐलनाबाद, चौपटा, डबवाली, सिरसा, हिसार के अलावा पंजाब के अबोहर, मलोट और बठिण्डा में बड़े स्तर पर कपास की खेती होती रही है। ।

किसानों का हुआ मोहभंग

पिछले तीन-चार वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो किसानों का कपास की खेती से मोह भंग हुआ है। लागत से कम आमदनी होने पर किसानों ने कपास की जगह दूसरी फसलों को प्राथमिकता दी। किसानों के कपास की फसल से दूरी बनाने से कृषि अधिकारी भी चिंतित हैं। अब बजट घोषणा से किसानों के दोबारा इस कॉमर्शियल फसल की तरफ लौटने की उमीद जगी है। गत वर्षों में कई तरह की योजनाएं लाने के साथ देसी कपास पर सब्सिडी तक देकर उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया गया, लेकिन कीटों के प्रकोप के कारण किसान नुकसान झेलने की स्थिति में नहीं थे। बेहतर भाव और फसल नहीं होने से भी किसानों के लिए कपास की खेती घाटे का सौदा बनती जा रही थी।

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Rajasthan E Khabar Webdesk

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