पाली न्यूज़ डेस्क – अपनी सरल और सहज वाणी के लिए विख्यात संत बालकदास शुक्रवार देर रात स्वर्ग सिधार गए। शनिवार सुबह यह सूचना मिलते ही पाली जिले के उंदरा गांव (जेतपुर, पाली) के समीप उनके अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचने लगे। ऐसे में संत के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। संभवत: रविवार सुबह संत को आश्रम परिसर में ही समाधि दी जाएगी। संत ने गौ भक्तों और जरूरतमंदों की मदद का संदेश दिया था। वे सनातन धर्म की सभी जातियों में लोकप्रिय थे। संत राजपुरोहित समाज से ताल्लुक रखते हैं, इसलिए उनके भक्तों में बड़ी संख्या में राजपुरोहित समाज के लोग भी शामिल हैं।
संत बालकदास पाली जिले के जोधपुर-जालौर हाईवे पर उंदरा गांव (जेतपुर) के समीप स्थित आश्रम में पिछले कई वर्षों से रहकर भक्ति कर रहे थे। वे प्रयागराज गए थे और शुक्रवार देर शाम अपने भक्तों के साथ आश्रम लौटे और खाना खाकर सो गए। शनिवार सुबह जब वे नहीं उठे तो आश्रम में रहने वाले श्रद्धालु उनके कमरे में गए, जहां वे मृत मिले। संत के स्वर्ग सिधारने की खबर चंद मिनटों में ही श्रद्धालुओं तक पहुंच गई। श्रद्धालुओं ने संत के स्वर्ग सिधारने की सूचना सोशल मीडिया पर शेयर की। सुबह से ही श्रद्धालु उनके अंतिम दर्शन के लिए आश्रम पहुंचने लगे थे। ऐसे में उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया है।
संत के भक्त मदन सिंह जागरवाल ने बताया- संत बालकदास के भक्तों में हर जाति के लोग शामिल हैं। संत मूल रूप से पाली जिले के सांडेराव क्षेत्र के रहने वाले थे। जिनका मन बचपन से ही भक्ति में डूबा रहता था। ऐसे में उन्होंने बचपन में ही घर छोड़ दिया था। संत बालकदास राजपुरोहित केदारिया जाति से थे। ऐसे में उन्होंने राजपुरोहित समाज के उत्थान के लिए भी काफी काम किया। उन्होंने बताया कि वे पहले नागा साधुओं के साथ रहते थे। फिर वे पाली जिले के गिरादरा गांव में रहकर भक्ति करते थे। इसके बाद उन्होंने उंद्रा (जेतपुर) के पास आश्रम बनवाया और वहां भक्ति करने लगे।
इन कार्यों के लिए संत को याद किया जाएगा
संत बालकदास के भक्त मदन सिंह जगरवाल ने बताया कि संत की प्रेरणा और मार्गदर्शन में पुणे में खेतेश्वर भवन का निर्माण हुआ। मुंबई में काशी मीरा भवन का निर्माण हुआ। बड़ौदा में खेतेश्वर आश्रम अन्न क्षेत्र का निर्माण हुआ, संत के मार्गदर्शन में सिरोही जिले में हरजी गौशाला भी शुरू की गई। उन्होंने हमेशा गायों की सेवा करने और जरूरतमंदों की हमेशा सेवा और मदद करने की शिक्षा दी।
25 बीघा में बना था आश्रम
संत बालकदास के भक्त बाबू सिंह वायड़ ने बताया कि संत ने जोधपुर-जालोर हाईवे पर वायड़ गांव के पास जन सहयोग से करीब 25 बीघा में आश्रम भी बनवाया। इस आश्रम में भोजनशाला, मंदिर, बगीचा, करीब 50 कमरे आदि हैं।