अजमेर। हजरत मीरा साहब की तारागढ़ स्थित दरगाह में उनके सालाना उर्स के लिए शाम झंडा चढ़ाने की रस्म शान-शौकत से अदा कर अकीदतमंद ने दुआ मांगी। उर्स के लिए दरगाह परिसर में अतिरिक्त रोशनी से सजावट की गई है। उर्स की रस्में 17 जनवरी की सुबह से शुरू होकर 19 जनवरी की दोपहर कुल की रस्म के साथ समाप्त हो जाएंगी।दरगाह प्रबंध कमेटी के सदस्य सैयद हफीज अली ने बताया कि उर्दू कैलेण्डर की 13 तारीख होने से शाम सैयद शाकिर हुसैन व उनके परिवार के सदस्यों ने गाजे-बाजे से दरगाह के बुलंद दरवाजा पर झंडा फहराकर सालाना उर्स शुरू होने का संदेश दिया। झंडा फहराने के साथ ही अकीदतमंद ने मुल्क की खुशहाली व भाईचारा के लिए दुआ मांगी। इस अवसर दरगाह में खादिमों के अलावा काफी अधिक संख्या में जायरीन और प्रबंध कमेटी के सदर मौहम्मद हारुन खान भी उपस्थित थे। झंडा चढ़ने के कुछ देर बाद ही दरगाह परिसर अतिरिक्त रोशनी से जगमगा उठा।
ये रहेंगे उर्स के कार्यक्रम
17 जनवरी (16 रजब) की सुबह हजरत मीरा साहब की मजार का गुस्ल की रस्म अदा की जाएगी। इसके बाद प्रबंध कमेटी की ओर से बाबा साहब की मजार पर चादर व फूल पेश कर दुआ की जाएगी। सुबह करीब आठ बजे खुद्दाम पंचायत की ओर से सवा मन लच्छा बांधा जाएगा और सवा मन मेहंदी पेश की जाएगी। इसी दिन शाम 4.30 बजे प्रबंध कमेटी की ओर से भी सवा मन लच्छा बांधा जाएगा और सवा मन मेहंदी पेश की जाएगी। इसके बाद से उर्स में शिरकत करने पैदल आने वाले फकीर-फुकरा को प्रबंध कमेटी की ओर से सूखा लंगर बांटा जाएगा।
18 जनवरी को फातेहा का विशेष कार्यक्रम होगा, जिसमें खादिम समुदाय लोग शिरकत करेंगे। इसी दिन प्रबंध कमेटी की ओर से लंगर का आयोजन किया गया है। रात्रि में महफिल होगी। 19 जनवरी को सुबह खुद्दाम पंचायत की ओर से जुलूस के रूप में चादर पेश की जाएगी। खुद्दाम पंचायत लंगर आयोजित करेगी। सुबह 11 बजे कुल की महफिल शुरू होगी और दोपहर 1.15 बजे कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन होगा। कुल की रस्म के बाद उर्स के पहले दिन आस्ताना में बांधा गया लच्छा व मेहंदी लूटने की रस्म भी होती है। जिसे अकीदतमंद को तबर्रुक के रूप में बांटा जाता है।