पाली न्यूज़ डेस्क,पाली में एक कलयुगी मां महज 10-15 दिन की बच्ची को मरने के लिए जंगल में झाड़ियों के बीच छोड़कर चली गई। गनीमत रही कि खेत से लौट रहे किसान मासूम के रोने की आवाज सून मौके पर पहुंचा और उसे दूध-पानी पिलाकर चूप किया। पुलिस ने इलाज के लिए मासूम को हॉस्पिटल पहुंचा। जहां उसकी हालत खतरे से बाहर है।
लावारिश मिली बच्ची को गोद में लेकर बैठे ग्रामीण
पाली के सदर थाना क्षेत्र में भालेलाव-निम्बाड़ा गांव के बीच झाली के पास बुधवार सुबह करीब साढ़े 11 बजे किसान इकलास खान सिंधी बाइक से खेत से निम्बाड़ा स्थित अपने घर की ओर जा रहे थे। इस दौरान उन्हें बच्ची के रोने की आवाज सूनाई दी तो रूके। झाड़ियों में जाकर देखा तो एक मासूम रो रही थी। उन्होंने तुरंत उसे संभाला और निम्बाड़ा, भालेलाव, निम्बली के ग्रामीणों का सूचना दी। कोई दूध तो कोई पानी लेकर तुरंत मौके पर पहुंचा। बच्ची को दूध और पानी पिलाकर उसे चुप करवाया गया। इतने में सूचना पर सदर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। मासूम को तुरंत इलाज के लिए पाली के बांगड़ हॉस्पिटल ले गए जहां उसे भर्ती किया गया। मासूम की हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है। मासूम की उम्र 10 से 15 दिन के बची की बताई जा रही है।
हॉस्पिटल में करवाया भर्ती
मामले में सदर थाने के सब इंस्पेक्टर ओमप्रकाश विश्नोई ने बताया कि मासूम को उपचार के लिए बांगड़ हॉस्पिटल में भर्ती करवाया है और बाल कल्याण समिति को इसकी सूचना दी।
डॉक्टर बोले- बच्ची की आवश्यक जांचे करवाई
मामले में बांगड़ हॉस्पिटल के चाइल्ड विभाग के एचओडी डॉ आरके विश्नोई ने बताया कि बच्ची का वजन 2.6 KG है। प्रारंभिक जांच में वह स्वस्थ नजर आ रही है। फिर भी उसकी आवश्यक जांचें करवा रहे है ताकि पता चले सके कि उसे किसी तरह का इंफेक्शन या कोई बीमारी तो नहीं है।
शृंगार कर छोड़ा जंगल में
ग्रामीण ओमप्रकाश मेघवाल ने बताया कि मासूम को अच्छे कपड़े और पैरों में मौजे पहना रखे थे। बेबी टॉवेल में उसे लिपटाकर उसे छोड़ा गया। उसके बाल बनाए हुए थे और आंखों में काजल भी लगाया हुआ था। मासूम का पूरा शृंगार कर उसे कोई यहां मरने के लिए जंगल में छोड़ गया।