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Rajasthan News: वसंत ऋतु में बढ़ती जा रही मौसमी बीमारियों के रोगियों की संख्या, इलाज के लिए चिकित्सकों के पास लग रही लम्बी लाइन

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अलवर न्यूज़ डेस्क – बसंत ऋतु के आगमन और शीत ऋतु की विदाई के साथ ही मौसम में आ रहे बदलाव का असर आमजन की दिनचर्या और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। दिन में धूप और सुबह, शाम व रात में सर्दी के कारण लोग मौसमी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। जिसके कारण खांसी, जुकाम, बुखार, डायरिया, पेट संबंधी बीमारियों के मरीज बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंच रहे हैं। जिसके कारण अस्पताल की ओपीडी व आईपीडी दोनों ही स्थानों पर मरीजों की कतारें देखी जा सकती हैं।

खेरली अस्पताल में संसाधनों का अभाव, दो दशक से ऑपरेशन थियेटर बंद
खेरली. कस्बे में उपजिला अस्पताल होने के बावजूद यहां मरीज पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। करोड़ों रुपए स्वीकृत होने के बावजूद अभी तक कोई सुविधा शुरू नहीं हो पाई है। अस्पताल को उपजिला अस्पताल घोषित होने के बावजूद यहां सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है। करीब 15 साल से स्त्री रोग विशेषज्ञ व सर्जन का पद रिक्त है। इसके कारण दो दशक से ऑपरेशन थियेटर बंद है। स्त्री रोग विशेषज्ञ के अभाव में प्रसव बहुत कम संख्या में होते हैं। पर्याप्त जगह न होने के कारण 50 बेड के अस्पताल में 30 बेड लगाए गए हैं। इसके अलावा ओपीडी में डॉक्टरों के बैठने की जगह नहीं है। एक कमरे में दो या तीन डॉक्टर बैठते हैं। बाल रोग विशेषज्ञ और हड्डी रोग विशेषज्ञ एक ही कमरे में बैठते हैं। कमरे में सिर्फ एक दंत चिकित्सक बैठता है। बाकी दो डॉक्टर कभी आयुर्वेदिक डॉक्टर के कमरे में तो कभी दूसरे कमरे में बैठते हैं।

अन्य सुविधाएं नहीं
लैब में कई जांचों की सुविधा नहीं है। हालांकि हर दिन 150 से ज्यादा मरीजों की जांच होती है, जिसमें से करीब 450 जांच हो पाती हैं। अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है। सिर्फ ब्लड स्टोरेज यूनिट है। इससे खून नहीं लिया जा सकता। जरूरत पड़ने पर बाहर से खून मंगवाया जाता है। क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल होने के बावजूद मोर्चरी में डीफ्रॉस्टर नहीं है। इसके कारण कई बार शव को पोस्टमार्टम के लिए रखा जाता है, जो डीफ्रॉस्टर न होने से खराब हो जाता है। अस्पताल में प्लास्टर रूम नहीं है। फ्रैक्चर आदि के मरीजों को तुरंत रेफर करना पड़ता है। इसके अलावा उपजिला अस्पताल घोषित होने के बावजूद यहां एमआरआई, सीटी स्कैन जैसी जांच की सुविधा नहीं है।उप जिला अस्पताल प्रभारी, खेरली डॉ. अंकित जेटली का कहना है कि इन दिनों मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या काफी है। इनमें से रोजाना ओपीडी में आने वाले 1300 मरीजों में से 80 फीसदी खांसी, जुकाम और बुखार से पीड़ित हैं। बाकी उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं।

अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, मरीज परेशान
अकबरपुर. मौसमी बीमारियों के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जहां मरीजों की भीड़ उमड़ रही है, वहीं डॉक्टरों की कमी से भी मरीज परेशान हो रहे हैं। इन दिनों सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का आउटडोर 300 के करीब पहुंच रहा है। यहां मात्र दो डॉक्टर बचे हैं, जबकि पांच डॉक्टरों के पद हैं। पहले तीन डॉक्टर थे, लेकिन अब एक डॉक्टर के यहां से स्थानांतरित होने के बाद दो ही बचे हैं। इनमें से एक डॉक्टर मीटिंग और वीडियो कांफ्रेंस में जाता है। जहां एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल चल रहा है। उसे मरीजों को देखना पड़ता है। रात में ज्यादा दिक्कत आती है। रात में भी एक डॉक्टर की ड्यूटी होना जरूरी है। अकबरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के आसपास दो दर्जन से अधिक गांव जुड़े हुए हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी से समस्या बनी हुई है। ग्रामीण राकेश और ममता सोनी का कहना है कि अस्पताल में रोजाना काफी भीड़ रहती है। लंबे इंतजार के बाद डॉक्टर को दिखाने का नंबर आता है। अगर डॉक्टरों की संख्या बढ़ा दी जाए तो राहत मिलेगी। महिला डॉक्टर भी नहीं है। जिससे महिलाएं इलाज कराने में कतराती हैं। यहां चिकित्सकों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन बात नहीं हो सकी।

ओपीडी में आ रहे 80 फीसदी मरीज बुखार, जुकाम, खांसी, गले में खराश से पीड़ित
राजगढ़. दिन में तापमान बढ़ने और रात में सर्दी के कारण सीएचसी में मरीजों की संख्या बढ़ गई है और ओपीडी 1600 के पार पहुंच गई है। वायरल बुखार, जुकाम, खांसी, गले में खराश, बदन दर्द से पीड़ित मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। पर्चा बनवाने के लिए सुबह से ही मरीजों की लंबी कतारें लग जाती हैं। प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. रमेश मीना ने बताया कि करीब 80 फीसदी मरीज वायरल बुखार, खांसी, जुकाम से पीड़ित आ रहे हैं।

चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरसी यादव ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण 70 फीसदी मरीज खांसी, जुकाम, गले में खराश और 30 फीसदी बुखार के आ रहे हैं। अस्पताल में 721 तरह की दवाइयां उपलब्ध हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शैलेंद्र शर्मा ने बताया कि ओपीडी में प्रतिदिन करीब 250 बच्चे खांसी, जुकाम, बुखार, गले में दर्द, सांस लेने में दिक्कत और निमोनिया से पीड़ित आ रहे हैं। प्रतिदिन 15-20 बच्चे भर्ती हो रहे हैं। उन्होंने निमोनिया आदि से पीड़ित बच्चों को अन्य बच्चों से दूर रखने की सलाह दी। बच्चों को फल खिलाएं, पानी पिलाएं, बीमार होने पर आराम कराएं और ओआरएस का घोल व तरल पदार्थ दें।

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Rajasthan E Khabar Webdesk

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