भरतपुर न्यूज़ डेस्क – आजादी के 77 साल बाद भी राजस्थान में कई इलाके ऐसे हैं, जहां बिजली, पानी और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं अभी तक नहीं पहुंच पाई हैं। लोगों ने कई बार सरकार से गुहार लगाई। फिर भी कोई ठोस समाधान नहीं हो सका। इसी तरह भरतपुर जिले के बयाना उपखंड मुख्यालय से डांग क्षेत्र के घुनाणी, ज्ञानी का बेड़ा से करौली जिले के नवलपुरा, डांडा गांव तक आजादी के बाद से सड़क का न होना मखमल पर टाट के पैबंद की तरह है। उपखंड मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इन 8 गांवों को जोड़ने वाली 12 किलोमीटर लंबी सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं।
सड़क के लिए 12 करोड़ रुपए जारी हुए थे
नवलपुरा महाकाल आश्रम के पीठाधीश्वर संत रुद्रनाथ महाकाल के आंदोलन के बाद 2 साल पहले कांग्रेस सरकार ने यहां सड़क निर्माण के लिए 12 करोड़ रुपए की राशि जारी की थी, लेकिन वन विभाग के क्षेत्र में आने के कारण इस सड़क का निर्माण कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इससे नाराज ग्रामीणों ने अब अपने गांव की सड़कों की मरम्मत का बीड़ा खुद ही उठा लिया है। वन विभाग की अड़चन के कारण सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, जिससे ग्रामीणों में निराशा है। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क पर उबड़-खाबड़ गड्ढे होने के कारण गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचने से पहले ही प्रसव हो जाता है। रोजमर्रा के कामों के लिए बयाना उपखंड मुख्यालय जाना पड़ता है, लेकिन सड़क खराब होने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
प्रत्येक गांव से दो सदस्य आगे आए
डांडा गांव, नवलपुरा, गाजीपुर, कोलूपुरा, बौहरा का बेड़ा, ज्ञानी का बेड़ा, ताली, सादपुरा, बरवाना, सकराघाटा आदि गांवों के प्रत्येक घर से दो-दो सदस्यों को लेकर टीम बनाई गई और सड़क निर्माण का कार्य शुरू किया। इन गांवों से आए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर चंदा एकत्र कर कुदाल, कुदाल आदि बिछाकर सड़क को बजरी डालकर चलने लायक बनाने का काम शुरू कर दिया है। मंगलवार को भी ग्रामीण सड़क को कई ब्लॉकों में बांटकर सड़क पर बजरी बिछाकर चलने लायक बनाने का काम कर रहे थे।
स्वीकृति मिलने के बाद होगा निर्माण- एक्सईएन
इस संबंध में लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन बृजमोहन का कहना है कि यह सड़क दो जिलों की सीमा में आ रही है। इसे विभाजित करने के लिए प्रस्ताव बनाकर मंजूरी के लिए शासन को भेजा गया था। शासन से स्वीकृति मिलते ही सड़क निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। वन विभाग के रेंजर हरभान सिंह ने बताया कि यह क्षेत्र बंध बारैठा के वन्यजीव क्षेत्र में आता है। इस कारण सड़क निर्माण की अनुमति नहीं मिली है। यह सरकारी सड़क नहीं है। ग्रामीण पहाड़ के किनारे सड़क बना रहे हैं। जो वन विभाग की जमीन है।